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जाति और धर्म के आधार पर महत्वपूर्ण तैनाती पाने वाले पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी बेलगाम होते जा रहे है। इन अफसरों को महत्वपूर्ण एवं कमाऊ पद मिलते है तो सरकार एवं समाज के गुणगान करते है और जैसे ही महत्वहीन पद पर पहुंचते है भाषा बदल जाती है। दूसरा जाति और धर्म के आधार पर मलाई काटने वाली तैनाती में करोड़ों रुपये कमाने के बाद सेवा निरवृत के चंद महीने पहले नौकरशाहों की राजनीतिक महत्वाकांक्षा से भी बोल बिगड़ जाते है। बेलगाम नौकरशाही के लिए जिम्मेदार जाति और धर्म पर राजनीति करने वाली सरकारे है।
बरेली के डीएम कैप्टन विक्रम सिंह के विवादित पोस्ट के बाद अब एक और सरकारी अफसर ने फेस्बूक पर विवादित पोस्ट डाला है। सहारनपुर में तैनात एक महिला अफसर ने सोशल मीडिया पर कासगंज हिंसा में मारे गए चंदन गुप्ता की मौत पर फेस्बूक में टिप्पणी कर एक बाद फिर माहौल में गरमाहर ला दी है। डिप्टी डायरेक्टर सांख्यिकी के पद पर तैनात रश्मि वरुण ने फेसबुक पोस्ट में कासगंज हिंसा की तुलना सहारनपुर के मामले से की है। 28 जनवरी को रश्मि वरुण ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा था, 'तो ये थी कासगंज की तिरंगा रैली। यह कोई नई बात नहीं तो नहीं है। अंबेडकर जयंती पर सहारनपुर के सड़क दूधली में भी ऐसी ही रैली निकाली गई थी।'
आगे उन्होने लिखा कि उसमें से अंबेडकर गायब थे या कहिए कि भगवा रंग में विलीन हो गये थे। कासगंज में भी यही हुआ। तिरंगा गायब और भगवा शीर्ष पर। जो लड़का मारा गया, उसे किसी दूसरे, तीसरे समुदाय ने नहीं मारा। उसे केसरी, सफेद और हरे रंग की आड़ लेकर भगवान ने खुद मारा। इसके आगे रश्मि ने अपनी पोस्ट में लिखा, कि जो नहीं बताया जा रहा है वो ये कि अब्दुल हमीद की मूर्ति या तस्वीर पे तिरंगा फहराने की बजाय इस तथाकथित तिरंगा रैली में चलने की जबरदस्ती की गई और केसरिया, सफेद, हरे और भगवा रंग पे लाल रंग भारी पड़ गया।
अपनी पोस्ट के कुछ ही समय बाद डिप्टी डायरेक्टर बैकफुट पर आती नजर आई, उन्होंने कहा कि उनकी पोस्ट से अगर किसी की भावना आहत हुई है तो वह माफी मांगती हैं।
बता दें कि 26 जनवरी को यूपी के कासगंज में कुछ युवक गणतंत्र दिवस के मौके पर तिरंगा रैली के नाम से एक मुस्लिम इलाके में पहुंचे थे. उनके हाथों में भगवा झंडे भी थे। आरोप है कि इन युवकों ने मुस्लिमों से जबरदस्ती नारे लगाने के लिए कहा, जिसके बाद दोनों पक्षों में झड़प हो गई और हिंसा भड़क गई। इस हिंसा में 22 साल के चंदन गुप्ता की मौत हो गई थी।
आपको बता दें कि डीजी होमगार्ड पद पर तैनात अफसर सूर्य कुमार शुक्ल ऐसे ही एक विवादित पोस्ट से सुर्खियों मे आ गए है। उनका सोशल मीडिया पर एक विडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह अयोध्या में राममंदिर बनाने की शपथ लेते दिखाई दे रहे है। उनके साथ मुस्लिम कार सेवक मंच के कई नेता भी मौजूद थे। इस पोस्ट के बाद सीएम योगी ने नाराजगी जताते हुये प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार को तलब किया था और मामले की पूरी रिपोर्ट सौपने को कहा है।
जाति और धर्म के आधार पर महत्वपूर्ण तैनाती पाने वाले पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी बेलगाम होते जा रहे है। इन अफसरों को महत्वपूर्ण एवं कमाऊ पद मिलते है तो सरकार एवं समाज के गुणगान करते है और जैसे ही महत्वहीन पद पर पहुंचते है भाषा बदल जाती है। दूसरा जाति और धर्म के आधार पर मलाई काटने वाली तैनाती में करोड़ों रुपये कमाने के बाद सेवा निरवृत के चंद महीने पहले नौकरशाहों की राजनीतिक महत्वाकांक्षा से भी बोल बिगड़ जाते है। बेलगाम नौकरशाही के लिए जिम्मेदार जाति और धर्म पर राजनीति करने वाली सरकारे है।
3rd February, 2018