देवी पाटन मंडल। महाशिवरात्रि के मौके पर देशभर में इसका खास महोत्सव मनाया जा रहा है। देश के सभी मंदिरों में भगवान को भोग लगाकर उनका भजन कीर्तन किया जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह आज ही के दिन हुआ था। ऐसी मान्यता है कि अवध के मंदिरों में भगवान शिव साक्षात विराजते हैं। अवध क्षेत्र के शिव मंदिर त्रेता से महाभारत काल तक का इतिहास समेटे हुए है।
खासतौर पर उत्तर प्रदेश का देवीपाटन मण्डल भगवान शंकर के धामों से घिरा हुआ है। यहां गोण्डा जिलें के खरगूपुर स्थित प्राचीन पृथ्वीनाथ शिव मंदिर शिव भक्तों के आस्था का प्रतीक है। इसी तरह से बलरामपुर का झारखंड़ी धाम शिव मंदिर शिव का साछात दर्शन कराता है। श्रावस्ती जिले का पांडव कालीन भगवान विभूतिनाथ का मंदिर अपना अलग इतिहास रखता है। इसी तरह से बहराइच के सिद्धनाथ का शिव मंदिर का इतिहास हजारों वर्ष पूर्व का बताया जाता है। ऐसी कथाएं प्रचलित है कि बहराइच भगवान ब्रह्मा की नगरी है और जब सृष्टि का विनाश करके नई सृष्टि का सृजन करना था तो भगवान अशुतोष की आराधना के लिए सिद्धनाथ शिव मंदिर की स्थापना भगवान ब्रह्मा ने ही किया था।
मंदिर के पुजारीयों के अनुसार आज के दिन पूरी रात यह शिवालय मंदिर खुले रहते हैं। वैसे अवध के मंदिरों में पूर्ण महाशिवरात्रि का पर्व बुद्धवार को सुबह ग़्यारह बजे तक माना जा रहा है। क्योंकि हिन्दू विधि विधान के अनुसार उदया तिथि ही सत्वाविक पल प्रदान करता है जो बुद्धवार को मनाया जायेगा। चूंकि शिवरात्रि आज सुबह ग्यारह बजे से शुरू हुई है, उसके अनुसार आज का शिवरात्रि उदय तिथि में न होने का काऱण पूर्ण और सात्वाविक फलदायक नहीं है।
पृथ्वीनाथ मंदिर एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग
गोंडा के पृथ्वीनाथ मंदिर जहां एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग है, में भक्तगण जलाभिषेक करने के लिए तीन बजे से लाइन में लग गये जो जलाभिषेक तक हर हर महादेव के साथ लाइन में लगे रहे। इसके अलावा जिले के अन्य छोटे बडे मंदिरों मे भोले बाबा के दरबार में भक्तगण जलाभिषेक के लिए अपने बारी का करते देखे गये। इस अवसर पर जगह जगह भंडारे का भी आयोजन था जिसका भक्तजन पूर्ण आन्नद उठा रहे थे।
14th February, 2018