लखनऊ। कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी की हत्या का मामला उलझता जा रहा है। इसके पीछे जो भी कारण हो लेकिन जांच टीम से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि अनुराग तिवारी का शव मिलने के बाद पुलिस ने जिस तरह से लापरवाही बरती है उससे सीबीआई को जांच में काफी दिक्कते आ रही है। जबकि तत्कालीन जांच से जुड़े एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि पुलिस ने सही दिशा में जांच शुरू की थी मामला हाइप्रोफ़ाइल और आईएएस अधिकारी से जुड़ा होने के कारण बहुत गंभीरता से जांच कर रही थी। लखनऊ विकास प्राधिकरण के वीसी पीएन सिंह भी एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी है। उनके साथ ही ठहरे थे। स्टेट गेस्ट हाउस में हमेशा चहल-पहल रहती है और वहाँ तैनात कर्मचारी भी अनुराग तिवारी को पहचानते थे। इन सभी से पूछताछ करके पुलिस किसी निष्कर्ष पर पहुँचती इसके पहले मामला सीबीआई को जांच के लिए भेज दिया गया। सीबीआई की टीम अपने अनुसार अपने तरीके से जांच कर रही है। जांच में देर होती जा रही है, और मामला उलझता जा रहा है। इन बयानों के बीच सबसे गंभीर सवाल यह है कि जब राजधानी लखनऊ के वीआईपी इलाके के वीआईपी गेस्ट हाउस के सामने एक आईएएस अधिकारी की संदेहास्पद मृत्यु पर सीबीआई जैसी जांच एजेंसी कई महीनों बाद भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची तो सामान्य जांच का क्या हश्र होता है यह कहना बड़ा मुश्किल है।
सीबीआई की जांच टीम लखनऊ में है और नए सिरे से फिर से जांच शुरू की है। लेकिन हर बाद टीम नए सिरे से जांच शुरू करती है और बिना निष्कर्ष पहुंचे फिर नए सिरे से जांच शुरू हो जाती है। आखिर सीबीआई को भी अपने प्रतिष्ठा का ध्यान रखना चाहिए और हर बार नए सिरे से जांच की खबरे नहीं आनी चाहिए रिज़ल्ट और निष्कर्ष आना चाहिए।
22nd February, 2018