नई दिल्ली। नसीमुद्दीन सहित भूतपूर्व विधायकों एवं सांसदों तथा संगठन से जुड़े बसपा के पूर्व पदाधिकारियों के कांग्रेस में शामिल होने से यूपी में एक नया राजनीतिक समीकरण बनेगा। नसीमुद्दीन बसपा में एक लंबे अरसे तक मुस्लिमों के बड़े चेहरे के रूप में थे। मायावती ने 2017 विधानसभा चुनाव में मुस्लिम दलित समीकरण को प्राथमिकता देते हुये 108 टिकट मुस्लिमों को दिये थे। जिनका नेतृत्व नसीमुद्दीन कर रहे थे। कांग्रेस के पास नासीमुद्दीन जैसा कोई मुस्लिम चेहरा और संगठनात्मक क्षमता वाला नेता नहीं है। इसका भी फायदा कांग्रेस को मिलेगा। नसीमुद्दीन पिछले 2 दशक से बसपा में संगठन और भाई-चारे कमेटियों से सीधे जुड़े थे। नसीमुद्दीन के प्रदेश के सभी विधानसभा, जिला शहर में हर जाति और धर्म के समर्थन हैं। कांग्रेस नसीमुद्दीन को कितना महत्व देती है और उनके साथ आए नेताओं को कितना अवसर मिलता है यह कांग्रेस के नेतृत्व पर निर्भर है। नसीमुद्दीन के कांग्रेस में आने से बसपा के साथ-साथ सपा को भी झटका लगेगा। क्योकि मुस्लिम नेताओं में आजम से बड़ा नसीमुद्दीन का चेहरा है। सिद्दीकी कि पकड़ गरीब जनता के साथ-साथ मुस्लिमों और हर वर्ग में है। इसका उदाहरण भी आज दिल्ली मुख्यालय पर कांग्रेस में शामिल होने वाले नेताओं की सूची से स्पष्ट दिखाई दे रहा हैं।
22nd February, 2018