मोदी के प्यार से बढ़ा केशव का अहंकार
लखनऊ, यूरिड मीडिया न्यूज़। फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य के अहंकार के कारण हारी। आजादी के बाद पहली बार नरेंद्र मोदी के लहर में फूलपुर मे कमल खिला था। लेकिन कमल का नेतृत्व करने वाले केशव मौर्य चंद वर्षों के अंतराल में विधायक, सांसद, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं उपमुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे थे। उससे उनमें जबरदस्त अहंकार था। उन्हें लग रहा था कि अमित शाह और मोदी ने ऐसा अभय दान दिया है कि अब राजनीति में जनता की आवश्यकता नहीं रह गयी। अपने को पिछड़ों में अखिलेश और मुलायम से भी बड़ा नेता मानने लगे थे। चुनाव के दौरान मतदाताओं के रुख एवं नाराजगी से स्पष्ट हो गया था कि मौर्य किस तरह से व्यवहार जनता से कर रहे है। कई ऐसे भाजपा पुराने कार्यकर्ता एवं नेता चुनाव के दौरान मिले। जिनसे बातचीत करने पर उनकी पीड़ा चेहरे पर झलक रही थी। बिना बोले ही उनके हाव-भाव से यह लग रहा था कि मौर्य के व्यवहार से दुखी है और भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार में औपचारिकता निभा रहे है। इसका उदाहरण भी मतदान के दिन दिखाई पड़ा। भाजपा के कट्टर समर्थको तक प्रत्याशी एवं केशव मौर्य नहीं पहुंचे। मौर्य के करिंदे दल बल के साथ जनता के बीच पहुँचते जिससे मतदाता और चिढ़ गए। जिसका परिणाम यह रहा कि फूलपुर में मात्र 38 फीसदी मतदान हुए, इनमें फाफामऊ विधानसभा में 43 फीसदी, सोराव में 45 फीसदी, फूलपुर विधानसभा में 46.32 फीसदी, इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में 31 फीसदी और देश के सबसे पढे लिखे विधानसभा क्षेत्र इलाहाबाद के उत्तरी विधानसभा में मात्र 21 फीसदी मतदान हुए। मतदान के बाद ही मतदाताओं की बेरुखी से यह स्पष्ट माना जा रहा था कि केशव मौर्य का अहंकार पर सपा एवं बसपा का जातीय समीकरण भरी पड़ेगा औराज परिणाम आने के बाद यह स्पष्ट भो हो गया। जिस फूलपुर संसदीय क्षेत्र से 2014 में लगभग 2 लाख मत से जीते थे। उसी संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में 22000 मतों से पराजित होना पड़ा। इस हार से भाजपा एवं केशव मौर्य दोनों के बूथ मैनेजमेंट की वास्तविकता सामने आ गयी। अगर वास्तविक रूप से बूथ मैनेजमेंट होता तो मतदान प्रतिशत इतने कम नहीं होते। साथ ही यह भी संदेश जनता ने दे दिया कि उसे ज्यादा दिनों तक कोरे आश्वासनों पर बहकाया नहीं जा सकता है।
14th March, 2018