उत्तर प्रदेश में गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव की दो सीटों पर सपा की जीत पटकथा सिर्फ बसपा के समर्थन के ऐलान के बाद से शुरू नहीं हुई. दरअसल 2017 के विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद से अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद खाली होने वाली सीट के लिए रणनीति बनाना शुरू कर दिया था. समाजवादी पार्टी ने 6 महीने पहले से ही रणनीति बनाना शुरु कर दिया था. समाजवादी पार्टी को यह बात पहले से पता थी कि अगर दोनों लोकसभा सीटों पर जीत मिलती है तो उनको न सिर्फ मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल होगी, बल्कि मिशन 2019 की राह भी आसान होगी.
समाजवादी पार्टी की दोनों लोकसभा सीटों पर जीत के पीछे बसपा की मदद को एक बड़ी वजह तो माना जा रहा है, लेकिन अखिलेश यादव ने 2017 के विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद से ही संगठन पर ज्यादा बेहतर तरीके से काम करना शुरु किया था. सपा ने बूथ लेवल पर सभी संगठनों को पहले भंग कर दिया. फिर नई कार्यकारीणी का गठन किया गया. अखिलेश यादव ने युवा और अनुभव वाले एमएलसी की ड्यूटी भी खास तौर से गोरखपुर और फूलपुर में लगाई थी. गोरखपुर में एमएलसी राजेश यादव, नेता विपक्ष राम गविॆद चोधरी, प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, विधायक ललई यादव, एमएलसी आनन्द भदौरिया, नईमुल हसन, उदयवीर सिंह औऱ राजपाल कश्यप महीनों पहले से डेरा डाले रहे. वहीं फूलपुर में पूर्व मंत्री बलराम यादव, विधान परिषद में नेता विपक्ष अहमद हसन, राज्यसभा सांसद किरणमय नंदा, एमएलए संग्राम यादव, एमएलए नफीस अहमद, एमएलसी रामवृक्ष यादव, गौरव दूबे औऱ प्रदीप तिवारी की ड्यूटी लगाई गई. सपा के सभी नेताओं ने बूथ लेवल पर समीक्षा कर पार्टी के लिए माहौल तैयार किया.
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा मतगणना के जो आंकड़े आ रहे हैं, वह बता रहे हैं कि दोनों लोकसभा के लाखों लोगों ने समाजवादी पार्टी को समर्थन दिया है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के इस उपचुनाव से राजनीतिक संदेश निकलता है. इस चुनाव में एक मुख्यमंत्री का क्षेत्र था, तो दूसरा उपमुख्यमंत्री का क्षेत्र था. अगर यहां जनता में इतनी नाराजगी है तो आने वाले समय में परिणाम का अंदाजा लगाया जा सकता है.
अखिलेश ने कहा कि सदन में ये कहा जा रहा है कि मैं हिंदू हूं, मैं ईद नहीं मनाता हूं. अखिलेश ने कहा कि हमने कभी खुद को बैकवर्ड नहीं समझा. लेकिन सपा और बसपा के लिए कहा गया कि सांप और छछूंदर का गठबंधन हुआ है. चोर-चोर मौसेरे भाई सहित न जाने क्या-क्या कहा गया. आखिर में समाजवादी पार्टी को औरंगजेब की पार्टी ही कह दिया गया. अखिलेश ने कहा कि मुझे खुशी है कि गरीब, नौजवानों, किसानों ने इसका जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि ये कहीं न कहीं सामाजिक न्याय की जीत भी है. अखिलेश ने कहा कि आबादी में जो ज्यादा हों, मेहनत करने वाले हों. उन्हीं को कीड़े-मकौड़े कह दिया गया.
जो दिल्ली और उत्तर प्रदेश का संकल्प पत्र बना, उस एक भी वादे पर बीजेपी खरी नहीं उतरी है. यही कारण है कि उन्हें ये जवाब मिला है. अखिलेश ने कहा कि हमारे दोनों नौजवान प्रत्याशियों को बधाई देता हूं. उन्होने एक सामाजिक न्याय का एक राजनीतिक संदेश दिया है.
सपा की जीत के पीछे बीजेपी का अतिउत्साह भी कारण माना जा रहा है. नंद गोपाल नंदी का बयान, सपा-बसपा के साथ को सांप-छछुंदर की संज्ञा देना, अति उत्साह में पिछड़े और दलितों का मजाक, पिछले दिनों कई दलित महापुरुषों की मूर्ति तोड़ने की घटना ने भी सपा उम्मीदवार को मजबूत किया.
15th March, 2018