लखनऊ, युरिड मीडिया न्यूज़। योगी सरकार के एक साल पूरे हो गए हैं। पिछले एक सालो में सरकार ने योजनायें तो कई चलाई लेकिन किसी भी योजना पर सही तरीके से अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। जैसे किसान कर्जमाफी योजना, आवास सहायता योजना, अन्नपूर्णा योजना, पंडित दिन दयाल उपाध्याय ग्रामोद्योह योजना, मुख्यमंत्री किसान एवं सर्वहित बीमा योजना, एंटी रोमिओ, वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना, मेघावी फ्री लैपटॉप योजना, भाग्य लक्ष्मी योजना जैसे तमाम योजनायें योगी सरकार की तरफ से चलाई गई है। लेकिन अभी तक किसी भी योजना पर सही तरीके से अमल नहीं किया गया। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जिस संकल्प के साथ यूपी चुनाव लड़ा था, तीन चोथाई बहुमत से जितने के बाद भी उनपर अमल नहीं किया गया। शुरूआती दिनों में दल बल के साथ सक्रिय सरकार की रफ्तार अब सुस्त पड़ गयी हैं। विरासत में मिली अराजकता को सीएम योगी ने भले ही कड़ी चुनौती के रूप में स्वीकार किया हो लेकिन अपराध और भय का वातावरण अभी भी परवान चढ़ा हुआ है. वहीँ भाजपा नेताओं के व्यंगात्मक बोल से सरकार की किरकिरी हुई।
योजनाएं बहुत जनता को अपेक्षाकृत लाभ नहीं
प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी कुल 61 योजनायें चलाई। जिसमें सडको को गड्ढा मुक्त करना, अन्नपूर्णा योजना, भाग्यलक्ष्मी योजना, मेघावी फ्री लैपटॉप योजना, पंडित दिल दयाल उपाध्याय ग्रामोद्योग योजना जैसे कई योजनायें है। लेकिन कुछ को छोड़कर अन्य पर जमीनी स्तर पर कोई काम देखने को नहीं मिला।
जांच की घोषणाएं लेकिन जांच निष्कर्ष सिफर
योगी सरकार ने अखिलेश सरकार के बहुचर्चित यमुना एक्सप्रेसवें, गोमती रिवर फ्रंट जैसे कार्यों की जांच तो बैठाई, लेकिन नतीजे अभी तक सिफर रहे। वहीँ पिछली सरकार द्वारा लोक सेवा आयोग में हुई गड़बड़ियों पर सरकार ने सीबीआई जाँच बैठाई है। लेकिन अभी तक किसी भी मामले में रिपोर्ट सामने नहीं आई।
योगी के बढ़ते ग्राफ पर गोरखपुर और फूलपुर की जनता ने लगाया विराम
पिछले साल यूपी में भाजपा सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ को सहरा पहनाया गया। अब तक 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव (गुजरात, हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में उन्हें अश्वमेघ घोड़े की तरह सभी राज्यों में कट्टर हिंदुत्व के चेहरे पर टारगेट किया गया। लेकिन अपने ही संसदीय क्षेत्र गोरखपुर में हुए उपचुनाव में जहाँ सीएम योगी की प्रतिष्ठा का सवाल था वहां भाजपा बुरी तरह पिट गई और 30 सालों से कब्ज़ा मठ सीट खो बैठी।
मुख्यमंत्री के अपराधियों को ठोक दो की नीति पर अमल लेकिन अपराध कम नहीं
सीएम योगी ने सत्ता सँभालते ही अपराध पर लगाम लगाने के लिए लगातार एनकाउंटर का दौर जारी रहा। अपराध पर अंकुश लगाने के लिए यूपी में बीते 11 महीनें में ताबड़तोड़ 1350 एनकाउंटर हुए, यानी हर दिन औसतन 4 एनकाउंटर और महीने में 100 से भी ज्यादा। इस दौरान 3091 इनामी बदमाश गिफ्तार हुए, जबकि 43 अपराधियों को पुलिस ने मार गिराया गया। पुलिस ने दावा किया कि मरने वालों बदमाशों में 50 फीसदी इनामी अपराधी थे, जिनकी सालों से तलाश थी। मायावती के दौर में यूपी में मुठभेड़ में बदमाशों को मारने का चलन बंद हो गया था, जो योगी राज में शुरू हुआ। मुठभेड़ की आड़ में नोएडा के जिम ट्रेनर को निजी दुश्मनी में बदमाश करार देकर पुलिस ने मार दिया। जब ये मामला खुला, तो एक के बाद एक मारे गये 14 मामलों में पुलिस की कहानी फर्जी जैसी दिखी। इनमें अकेले आजमगढ़ के तीन मामले हैं।
20th March, 2018