नई दिल्ली। फेसबूक डाटा लीक को लेकर अब सियासत गरमाई है। कांग्रेस और भाजपा दोनों दल इसके लिए एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे है। पहले बीजेपी ने इस विवादित डाटा लीक के पीछे कांग्रेस की साजिश बताया था। अब कांग्रेस ने भी कड़े शब्दों में इसकी निंदा करते हुए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है। कांग्रेस पार्टी ने कहा कि ब्रिटिश एजेंसी कैम्ब्रिज एनालिटिका की क्लाइंट कांग्रेस नहीं बल्कि बीजेपी है। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एजेंसी की वेबसाइट से मिली जानकारियों के आधार पर दावा किया कि 2010 के बिहार चुनाव में बीजेपी ने इस एजेंसी की मदद ली थीं। उस वक्त बीजेपी का जेडीयू के साथ गठबंधन था।
हालांकि भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। बीजेपी ने कहा है कि 2010 में बिहार चुनाव के दौरान पार्टी ने इस एजेंसी की सेवाएं नहीं ली थीं, जेडीयू ने अगर सेवाएं ली हों तो पार्टी को इसकी जानकारी नहीं है। गौरतलब है कि इससे कुछ घंटे पहले केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस पार्टी के इस एजेंसी से कनेक्शन का दावा किया था।
प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने 2019 के चुनाव प्रचार के लिए ब्रिटिश एजेंसी कैम्ब्रिज एनालिटिका को जिम्मेदारी सौंपी है। उस पर घूस लेने, सेक्स वर्कर्स के जरिए राजनेताओं को फंसाने और फेसबुक से डेटा चुराने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भी चुनाव प्रचार के समय इसी एजेंसी की सेवाएं ली थीं।
सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी की फेक न्यूज की फैक्टरी ने आज एक और फर्जी खबर तैयार की है। उन्होंने आरोप लगाया, 'ऐसा लगता है कि फेक स्टेटमेंट्स, फेक प्रेस कॉन्फ्रेंस और फेक एजेंडा बीजेपी और उनके 'लॉलेस' लॉ मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद का कैरेक्टर बन गया है।' गौरतलब है कि जिस कंपनी पर विवाद हुआ है उस पर फेसबुक के करीब 5 करोड़ यूजर्स की जानकारियां लीक होने से फायदा पहुंचने के आरोप लगे हैं।
क्या है फेसबूक डाटा लीक मामला
डाटा लीक मामले में फेसबुक बड़े विवादों में घिरता जा रहा है। पांच करोड़ यूजर्स के डेटा लीक को लेकर उसके खिलाफ जांच भी शुरू हो गई है और मुहिम भी। अब सभी सोशल प्लैटफ़ार्म पर #deletefacebook के नाम से मुहिम चलाकर फेसबूक डिलीट करने की मांग की जा रही है।
हालांकि इसका असर शेयर मार्केट में भी दिखाई दिया। फेसबुक के शेयर लुढ़क गए है। बाज़ार भाव से क़रीब 40 अरब डॉलर का नुक़सान हुआ है। दुनिया के सबसे अमीर लोगों के फोर्ब्स लाइव ट्रैकर के मुताबिक मार्क जुकरबर्ग की अपनी दौलत को 5.5 अरब से 6.9 डॉलर तक की चोट पड़ी है। फिर उसकी जांच भी शुरू हो गई है। सीनेट की न्यायिक समिति ने फेसबुक, ट्विटर और गूगल के सीईओ को सुनवाई के लिए बुलाया और अब डिलिट फेसबुक कैंपेन शुरू हो गया है। जिसमें कई बड़ी आवाज़ें शामिल हैं. मामला पांच करोड़ यूजर्स की सूचनाओं के लीक और इस्तेमाल का है।
- एक कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका ने ये डेटा जुटाए और इनका इस्तेमाल किया।
- ये कंपनी डोनाल्ड ट्रंप और उनके चुनाव प्रचार से जुड़ी रही है।
- कंपनी दावा कर रही है कि उसने अब ये डेटा डिलिट कर दिया है।
- लेकिन अमेरिकी अख़बारों न्यूयॉर्क टाइम्स और गार्जियन के मुताबिक ऐसा नहीं किया गया है।
- फेसबुक ने इस मामले में एक बाहरी कंपनी को ऑडिट पर लगाया है।
बड़ा सवाल यह है कि ये डेटा किस लिए इस्तेमाल किया जा रहा था और कब से? फेसबुक के चीफ़ ऑफ़िसर अलेक्स स्टैमॉस की भी कंपनी से विदाई तय है, लेकिन इस मामले में अब तक मार्क जकरबर्ग की चुप्पी सबको हैरान कर रही है।
फेसबुक के फिलहाल 2.1 बिलियन यूजर्स एक्टिव हैं। इनमें से 1.4 बिलियन यूजर्स रोजाना साइट का इस्तेमाल करते हैं। सोशल नेटवर्किंग साईट होने के चलते इस पर लोग नियमित तौर पर अपने विचार, फोटोज और लाइफ इवेंट्स शेयर करते हैं। इससे फेसबुक के पास किसी भी कंपनी या व्यक्ति की हाई रिजोल्यूशन पिक्चर और जानकारी साझा हो जाती है। यह जानकारी लीक होने पर इसका कई बड़े स्तर पर गलत तरह से प्रयोग किया जा सकता है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है की क्या आने वाले समय में प्राइवेसी प्रोटेक्शन और डाटा रेगुलेशन को लेकर कानून बनाए जाएंगे या नहीं?
21st March, 2018