समाजसेवी अन्ना हजारे को 2011 की तरह आंदोलन में जन समर्थन नहीं मिल रहा है । इसके पीछे भी गहरी साजिश है । 2011 ओर 2018 के आंदोलन में बहुत अंतर आ चुका है । 2011 में तत्कालीन केंद्र की काँग्रेस सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप थे भाजपा का मीडिया मैनेजमेंट आरएसएस की भीड़ रामदेव का योग एवं भाषण नटवरलाल केजरीवाल एवं उनके एनजीओ साथियों और विदेशी फ़ंड का बहुत बड़ा योगदान था । युवाओ के नाम पर एनजीओ ने भीड़ जुटाई । मीडिया के सहयोग से विश्वविद्यालय एवं शिक्षण संस्थाओ से हजारो की संख्या में छात्रो ने भागीदारी निभाई जिससे अन्ना का आंदोलन एक सफल आंदोलन साबित हुआ जिसका लाभ भाजपा एवं केजरीवाल ने उठाया । आज स्थितियां विपरीत है । दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और भाजपा की केंद्र सरकार दोनों आंदोलन को फ्लॉप करने मे लगे हैं । राजनीतिक संरक्षण नहीं है । मोदी का भय है इसलिए मीडिया भी अन्ना आंदोलन को 2011 की तरह 2018 में कवरेज नहीं कर रही है । जिसके कारण आम जनता को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर वादा खिलाफी पर किया जा रहा अन्ना का आंदोलन की जानकारी नहीं मिल पा रही है ।
24th March, 2018