लखनऊ, यूरिड मीडिया न्यूज़। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने 6 अप्रैल 2018 को भारतीय जनता पार्टी के 38वें स्थापना दिवस पर विपक्ष के लिए सांप, नेवला, कुत्ता, बिल्ली, चीता आदि शब्दों से नवाजा है। यह देश की बदली हुई राजनीति का उदाहरण है। सत्ता में रहने वाले राजनीतिक दल किस तरह से अशोभनीय भाषा का प्रयोग विपक्ष के लिए करते है। 6 अप्रैल 1980 को बीजेपी के संस्थापक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जिन उम्मीदों एवं आशाओ के साथ यह कहा था कि " अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा और कमाल खिलेगा। " अटल जी की इन उम्मीदों पर आज सवा सौ करोड़ जनता ने पूरे देश में कमल खिला दिया, लेकिन अटल जी के उत्तराधिकारी अमित शाह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर विपक्ष के लिए जिन भाषाओं का इस्तेमाल किया अटल जी जैसे नेता को ऐसी उम्मीद नहीं रही होगी। स्थापना दिवस के इस अवसर पर अगर अटल जी मंच पर होते तो उन्हें अमित शाह की भाषा पर कितना कष्ट होता इसका अंदाजा उनके सरल स्वभाव को देखकर लगाया जा सकता है।
राजनीति में जीत-हार होती रहती है लेकिन शब्दों की मर्यादा बनाए रखनी चाहिए। लेकिन आज पूरे देश में सभी राजनीतिक दलों में मर्यादाएं तोडी है। इसके लिए भाजपा ही नहीं कांग्रेस, सपा, बसपा, तृणमूल कांग्रेस, आप सभी जिम्मेदार है। एक दूसरे पर आरोप लगाते समय सभी राजनीतिक दलों में अपमानजनक शब्दों का प्रयोग विपक्षियों के लिए किया है। अमित शाह ने स्थापना दिवस पर सांप, नेवला, कुत्ता, बिल्ली, चीता के शब्दो का प्रयोग कांग्रेस, सपा, बसपा, तृणमूल कांग्रेस, टीडीपी आदि सभी विपक्षी दलों के लिए किया है । यह दुर्भाग्यपूर्ण है और शाह के अहंकार तथा सत्य कबूलनामे का एक बहुत बड़ा उदाहरण भी है। शाह ने यह सत्य ही कहा है कि जब बाढ़ आती है सांप, नेवला, कुत्ता, बिल्ली, चीता सब बचाव के लिए एक साथ वट वृक्ष पर पहुँच जाते है। शाह के यह शब्द पुर्ण सत्य है कि मोदी बाढ़ के आगे साप, नेवला, बिल्ली, कुत्ता के रूप में सम्पूर्ण विपक्ष सवा सौ करोड़ वटवृक्ष रूपी जनता से अपने मान सम्मान को बचाने और मोदी के बाढ़ से बचने के लिए गुहार कर रही हैं।
वट वृक्ष रूपी सवा सौ करोड़ जनता ने 1984 में कांग्रेस की बाढ़ से तबाह हो चुकी 2 सीटों पर सिमटी भाजपा को 2014 में कांग्रेस सहित विपक्ष के अहंकार रूपी बाढ़ से बचाते हुए मोदी को अप्रत्याशित अभयदान देकर सत्ता में पहुंचाया और अटल जी के "अंधेरा छटेगा सूरज निकलेगा कमल खिलेगा" की आशाओं पर मुहर लगाई। यह भी सत्य है कि विपक्ष के किले को वट वृक्ष रूपी सवा सौ करोड़ जनता ने मोदी पर भरोसा करके 2014 से निरंतर तोड़ा और मोदी के बाढ़ को पूरा समर्थन दिया जिसका परिणाम यह है कि आज 22 से अधिक राज्य में कमाल खिल रहा हैं। लेकिन मोदी की यह बाढ़ वट वृक्ष रूपी सवा सौ करोड़ जनता को अब शाह जैसे बयानों से अखरने लगा है और वट वृक्ष रूपी सवा सौ करोड़ जनता सांप, नेवला, कुत्ता, बिल्ली और चीते के बचाव में धीरे-धीरे खड़ी होती नजर आ रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में अमित शाह को कही वट वृक्ष रूपी सवा सौ करोड़ जनता 1984 की तरह नकार कर कुत्ता, बिल्ली नेवला, सांप की जान न बचा दें।
8th April, 2018