टूटा जनता का विश्वास, अपना पैसा घर पर रखना चाहती है जनता
लखनऊ यूरिड मीडिया न्यूज। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जमीनी हक़ीक़त समझनी चाहिए कि जिस तरह 2014 लोकसभा चुनाव में काँग्रेस पर अविश्वास करके भाजपा को अप्रत्याशित बहुमत दिया था । नोटबंदी सहित कई ऐसे निर्णय भाजपा सरकार में हुये है जो धीरे धीरे सवा सौ करोड़ जनता में मोदीसरकार के खिलाफ अविश्वास का रूप लेते जा रहे है, नोटबंदी से पैदा हुई समस्याएं एवं केंद्र पर अविश्वास से ही देश में कैश की किल्लत बढ़ती जा रही है । देश में नोटो की किल्लत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर से जनता का विश्वास उठना सबसे बड़ा महत्वपूर्ण कारण है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस वास्तविक सच्चाई को समझना चाहिए कि जनता का भरोसा केन्द्र सरकार की नीतियों पर से उठ रहा है। 8 नवम्बर 2016 को अचानक हुई नोट बन्दी के बाद देश की सवा सौ करोड़ जनता ने कैश की कमी से परेशानी उठाया था। बैंक में पैसा होने के बाद भी शादियां टूटी थी। भव्य शादियों करने के मां, बाप के अरमान टूटे थे। रोजमर्रा के खर्चो तथा विभिन्न निजि कार्यक्रमों व्यक्तिगत खर्चो, इलाज , कोचिंग, परिवहन आदि तमाम क्षेत्रों में जनता ने कैश किल्लत की मुसीबतों को झेला था वह अभी भी उनके दिल दिमाग से दूर नही हुआ है। जनता में दहशत समायी हुई है। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी,वित्त मंत्री अरूण जेटली एवं आर.बी.आई के गर्वनर के बयानों पर जनता भरोसा नही कर रही है।
बच्चों के एडमिशन, पुस्तके, यूनीफार्म, ईलाज, शादी वह तमाम अन्य अति-आवश्यक रूटीन खर्चो के लिए जनता पैसा बैंकों से निकाल रही है। एक बार पैसा निकालने के बाद उसे फिर बैंकों में जमा नही कर रही है। क्योंकि उसका भरोसा टूट चुका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जनता के बीच के है, जनता की समास्याओ को जानते है , जनता की भावनाओं को समझते है, लगातार जनता से संवाद कर रहे है। जनता से सीधा सम्पर्क के लिए प्रधानमंत्री से जुड़ा सैकड़ों युवाओं का सेल बना हुआ है। ऐसे में प्रधानमंत्री वास्तविक सच्चाई को इन सभी माध्यमों से जानना चाहिए। कैश की किल्लत विपक्षी दलों के बयान पर संज्ञान नही लेना चाहिए। बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ऐसी कार्ययोजना बनानी चाहिए जिससे जनता का भरोसा जीत सकें और कैश की किल्लत जैसी अफवाहों पर जनता ध्यान न दें। उदाहरण अगर प्रधानमंत्री की अपनी मां ने वर्षो में थोड़े-थोड़े पैसा एकत्र करके अपने नाती- पोतो बेटी-बेटियों पर मन माफिक खर्च करना चाहती थी। नोट बन्दी के दौरान मोदी जी मां से जो रूपये बेटों ने बंकों मे जमा करा दिया अब मोदी जी को उनके जन्मदिन पर शगुन देने के लिए भी मां को मोदी के भाइयो से (अपने बेटों से) पैसा नही मांगना पड़ेगा? यह हिन्दुस्तान के सभी अमीर-गरीब महिलाओं की पीड़ा है जिनके वर्षो की बचत को एक झटके में जमा करा दिया गया। यही स्थिति देश के समस्त अमीर-गरीब व्यक्तियों चाहे महिला हो या पुरूष हो सबकी हैं।
लखनऊ यूरिड मीडिया न्यूज। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जमीनी हक़ीक़त समझनी चाहिए कि जिस तरह 2014 लोकसभा चुनाव में काँग्रेस पर अविश्वास करके भाजपा को अप्रत्याशित बहुमत दिया था । नोटबंदी सहित कई ऐसे निर्णय भाजपा सरकार में हुये है जो धीरे धीरे सवा सौ करोड़ जनता में मोदीसरकार के खिलाफ अविश्वास का रूप लेते जा रहे है, नोटबंदी से पैदा हुई समस्याएं एवं केंद्र पर अविश्वास से ही देश में कैश की किल्लत बढ़ती जा रही है । देश में नोटो की किल्लत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर से जनता का विश्वास उठना सबसे बड़ा महत्वपूर्ण कारण है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस वास्तविक सच्चाई को समझना चाहिए कि जनता का भरोसा केन्द्र सरकार की नीतियों पर से उठ रहा है। 8 नवम्बर 2016 को अचानक हुई नोट बन्दी के बाद देश की सवा सौ करोड़ जनता ने कैश की कमी से परेशानी उठाया था। बैंक में पैसा होने के बाद भी शादियां टूटी थी। भव्य शादियों करने के मां, बाप के अरमान टूटे थे। रोजमर्रा के खर्चो तथा विभिन्न निजि कार्यक्रमों व्यक्तिगत खर्चो, इलाज , कोचिंग, परिवहन आदि तमाम क्षेत्रों में जनता ने कैश किल्लत की मुसीबतों को झेला था वह अभी भी उनके दिल दिमाग से दूर नही हुआ है। जनता में दहशत समायी हुई है। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी,वित्त मंत्री अरूण जेटली एवं आर.बी.आई के गर्वनर के बयानों पर जनता भरोसा नही कर रही है।
बच्चों के एडमिशन, पुस्तके, यूनीफार्म, ईलाज, शादी वह तमाम अन्य अति-आवश्यक रूटीन खर्चो के लिए जनता पैसा बैंकों से निकाल रही है। एक बार पैसा निकालने के बाद उसे फिर बैंकों में जमा नही कर रही है। क्योंकि उसका भरोसा टूट चुका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जनता के बीच के है, जनता की समास्याओ को जानते है , जनता की भावनाओं को समझते है, लगातार जनता से संवाद कर रहे है। जनता से सीधा सम्पर्क के लिए प्रधानमंत्री से जुड़ा सैकड़ों युवाओं का सेल बना हुआ है। ऐसे में प्रधानमंत्री वास्तविक सच्चाई को इन सभी माध्यमों से जानना चाहिए। कैश की किल्लत विपक्षी दलों के बयान पर संज्ञान नही लेना चाहिए। बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ऐसी कार्ययोजना बनानी चाहिए जिससे जनता का भरोसा जीत सकें और कैश की किल्लत जैसी अफवाहों पर जनता ध्यान न दें। उदाहरण अगर प्रधानमंत्री की अपनी मां ने वर्षो में थोड़े-थोड़े पैसा एकत्र करके अपने नाती- पोतो बेटी-बेटियों पर मन माफिक खर्च करना चाहती थी। नोट बन्दी के दौरान मोदी जी मां से जो रूपये बेटों ने बंकों मे जमा करा दिया अब मोदी जी को उनके जन्मदिन पर शगुन देने के लिए भी मां को मोदी के भाइयो से (अपने बेटों से) पैसा नही मांगना पड़ेगा? यह हिन्दुस्तान के सभी अमीर-गरीब महिलाओं की पीड़ा है जिनके वर्षो की बचत को एक झटके में जमा करा दिया गया। यही स्थिति देश के समस्त अमीर-गरीब व्यक्तियों चाहे महिला हो या पुरूष हो सबकी हैं।
18th April, 2018