गोण्डा। उत्तर प्रदेश में देवी पाटन मंडल के तीन जिलों बहराइच की 98.5 बलरामपुर 94.5 और श्रावस्ती की 51 किलोमीटर सीमाओं को मिलाकर भारत नेपाल की 243 किलोमीटर खुली सीमाओं पर तैनात सुरक्षा एजेंसी सशस्त्र सीमा बल सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले थारू जनजाति , दलित , पिछड़े , अल्पसंख्यक समेत सभी वर्गों के गरीब परिवारों के लिये वरदान साबित हो रही है। एसएसबी सूत्रों के अनुसार , बलरामपुर जिले में इंडो नेपाल बार्डर पर एसएसबी 9वीं और 50वीं को मिलाकर करीब 1200 महिला व पुरुष जवान सीमा सुरक्षा में 26 निगरानी चौकियों पर तैनात है। ये सभी जवान सुरक्षा के साथ साथ सीमा परिधि से पंद्रह किलोमीटर क्षेत्र में रह रहे परिवारों के जीविकोपार्जन के संसाधनों को जुटाने में जहां एक ओर भरपूर मदद कर रहे है वहीं उनकी सेहत स्वास्थ्य लाभ के दृष्टिगत सरकार की मंशा के अनुरूप समय समय पर स्वास्थ्य शिविर , खेलकूद , शिक्षा के क्षेत्र में बालक व बालिकाओं को बेहतर तरीके से शिक्षित बनाने के लिये एसएसबी द्वारा विद्यालयों को गोद लेकर महत्वपूर्ण संसाधनों को जुटाने में अहम योगदान दे रहे है। प्रायः सामाजिक चेतना अभियान , जनजागरण अभियान चलाकर लोगों में राष्ट्रभक्ति की भावना जगाने में जुटे रहने वाले जांबाज इन दिनों पंद्रह दिवसीय योग शिविर लगाकर भारतीयों को शारीरिक व्यायाम के साथ साथ सरल और सुलभ जीवन जीने की कला सिखाने में जुटे है। यहाँ तक कि निर्धन कन्याओं के सामूहिक विवाह आयोजन में भी एसएसबी जवान महत्वपूर्ण योगदान देते है। उन्होंने बताया कि तस्करी , घुसपैठ , खनन , अपराध और राष्ट्र विरोधी ताकतों को करारा जवाब देने वाले एसएसबी के जवान लोगों को स्वरोजगार और स्वावलंबी बनाने की कवायद में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे। क्षेत्र में थारू जनजाति के युवक युवतियों को एसएसबी में भर्ती के लिये विशेष प्रशिक्षण देने के साथ महिला जवान बेटियों को शिक्षा के अलावा सिलाई कढाई, पेंटिंग, बुनाई, स्वादिष्ट व्यंजनों पकाने की ट्रेनिंग देने के साथ महिला सुरक्षा के गुर भी सिखा रही है। लेकिन देश की रक्षा में अपना जीवन लगाने वाले इन जांबाज जवानों के लिये सीमा इलाकों में बिजली, पानी, सड़क व संचार की सुदृढ़ व्यवस्था तक नहीं है। जबकि केन्द्र सरकार द्वारा संचालित बार्डर एरिया डेवलेपमेंट कार्यक्रम के तहत प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये सीमा क्षेत्रों के विकास के नाम पर कागजों में खर्च हो रहे है। गौरतलब है कि जिले में 452 वर्ग किलोमीटर तक फैले सोहेलवा वन्य जीव संरक्षित क्षेत्र में वन सुरक्षा में लगे वनरक्षकों के पास आधुनिक संसाधन न होने से उन्हें भी काम्बिंग और सर्च आपरेशन में एसएसबी जवानों की मदद लेनी पड़ती है। यही हाल बहराइच जिले के रुपैडिहा बार्डर , कर्तनिया वनक्षेत्र और श्रावस्ती जिले के सिरसिया इलाके का है। अभी तक सीमा के समानांतर बनने वाली सड़क और अन्य विकास के अधूरे कार्य से जवानों को गश्त में कठिनाई हो रही है।
21st April, 2018