बिहार में उन परिवार वालों के लिए खुशखबरी है, जिनका परंपरागत पेशा ग्रामीण इलाक़ों में देशी शराब या ताड़ी बेच कर आजीविका चलना रहा है. राज्य की नीतीश सरकार ने अगले तीन वर्षों में उनके लिए वैकल्पिक रोज़गार पर 740 करोड़ ख़र्च करने की एक योजना को मंज़ूरी दी है.
राज्य कैबिनेट में पारित इस योजना के अनुसार, करीब एक लाख परिवार, जिन्हें चिन्हित करने का काम अंतिम चरणो में हैं, उन्हें वैकल्पिक रोज़गार के लिये सरकार द्वारा ऋण की व्यवस्था की जायेगी. इसके तहत उन्हें गाय पालन या मुर्ग़ी पालन जैसे तुरंत शुरू होने वाले काम के लिए पैसे दिये जायेंगे.
इस योजना के पीछे राज्य सरकार की सोच है कि भले राज्य में शराबबंदी हो गया हो, लेकिन ग्रामीण इलाक़ों में देशी या महुआ से शराब बनाने वाले अभी भी इस धंधे में लगे हैं. हालांकि, राज्य सरकार द्वारा ताड़ी का धंधा करने वाले पासी समुदाय के लोगों के लिए बहुत ताम-झाम के साथ नीरा बनाने का ऐलान किया गया, लेकिन इसका अभी तक बहुत व्यापक असर देखने को नहीं मिला है.
लेकिन अब राज्य सरकार का कहना है कि इस पूरे योजना को लागू करने के लिए जीविका को इसमें शामिल किया गया हैं. फ़िलहाल एक परिवार को साठ हज़ार से एक लाख तक की आर्थिक सहायता का प्रावधान किया गया है. बता दें कि राज्य में शराबबंदी की विफलता को इस योजना के पीछे एक बड़ा कारण माना जा रहा है.
27th April, 2018