लखनऊ, यूरिड न्यूज़। कानपुर छावनी क्षेत्र में 2016 में हुई सेना भर्ती में रिश्वत लेकर फर्जी दस्तावेज के जरिए 34 लोगों की भर्ती करने का मामला सामने आया है। नौकरी पाने वालों में 34 में से 30 ने अलग-अलग स्थानों पर प्रशिक्षण भी लिया। सीबीआई की प्रारंभिक जांच में यह सनसनीखेज खुलासा हुआ है। सेना भर्ती कार्यालय में तैनात रहे हवलदार गिरीश एनएच ने बिचौलिए के जरिये रिश्वत लेने की बात कुबूल की है।
जांच एजेंसी ने घूस देकर नौकरी हासिल करने वाले 34 लोगों के साथ ही सेना के कर्मी गिरीश एनएच हवलदार, पांच बिचौलियों और हमीरपुर के एसडीएम व तहसीलदार के कार्यालय में तैनात रहे अज्ञात कर्मियों के खिलाफ केस दर्ज किया है।
सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच (एसीबी) में दर्ज एफआईआर के अनुसार कानपुर छावनी क्षेत्र में 3 अगस्त 2016 से 16 अगस्त 2016 के बीच औरैया, बाराबंकी, फतेहपुर, कन्नौज, बांदा, गोंडा और हमीरपुर के युवाओं के लिए सेना भर्ती की रैली हुई थी। यह भर्ती शारीरिक जांच, लिखित परीक्षा व स्वास्थ्य परीक्षण के जरिये हुई। इसमें हमीरपुर के 34 ऐसे अभ्यर्थियों को भर्ती कर लिया गया जो अन्य जिलों के रहने वाले थे। इन सभी ने फर्जी निवास प्रमाण पत्र के सहारे खुद को हमीरपुर का बताया। ये निवास प्रमाण पत्र हमीरपुर तहसील से उप जिलाधिकारी ने जारी किए थे। इस मामले में सीबीआई ने शिकायत मिलने पर प्रारंभिक जांच 12 दिसंबर 2017 को शुरू की थी।
हमीरपुर का एक भी नहीं था छात्र
कानपुर छावनी क्षेत्र में 2016 में सेना भर्ती रैली में रिश्वत लेकर फर्जी दस्तावेज के जरिए 34 लोगों की भर्ती के मामले में इन सभी के शैक्षिक दस्तावेजों की पड़ताल कराई तो साफ हो गया कि वे सभी हमीरपुर के नहीं थे। हवलदार गिरीश एनएच व दो बाहरी व्यक्तियों प्रवीण व योगेंद्र के बीच बातचीत का रिकॉर्ड भी सीबीआई के हाथ लगा जिसमें अभ्यर्थियों को फायदा पहुंचाने के लिए रिश्वत की बात की जा रही है। यह बातचीत यूपी एसटीएफ ने पिछले साल दिसंबर में इंटरसेप्ट की थी। एसटीएफ ने इसका खुलासा करते हुए वाराणसी से कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया था।
10th May, 2018