वाराणसी, यूरिड न्यूज़। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मंगलवार शाम को बड़ा हादसा हुआ। कैंट रेलवे स्टेशन के समीप एईएन कॉलोनी के सामने निर्माणाधीन चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर की दो बीम(पुल के खंबे) मंगलवार की शाम साढ़े पांच बजे सड़क पर गिर पड़ीं। बीम गिरने से 18 लोगों की मौत हो गई है। सरकार इस हादसे में मृतक के परिवारीजन को पांच-पांच लाख तथा गंभीर रूप से घायलों को दो-दो लाख रुपए की सहायता राशि प्रदान करेगी।
लापरवाही पड़ी भारी
इस मामले में चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर समेत चार अफसरों को सस्पेंड कर दिया गया है। बीम करीब 200 मीटर लंबा और 100 टन वजनी था। इसकी चपेट में छह कार, एक मिनी बस, एक ऑटोरिक्शा, मोटरसाइकिल समेत कई पैदल यात्री भी आ गए। हादसे के वक्त इलाके में ट्रैफिक जाम था। दो दिन पहले ही पुल पर रखे गए स्लैब को जोड़ने का काम चल रहा था। इसके बावजूद नीचे से ट्रैफिक गुजरता रहा। प्रशासन ने ट्रैफिक नहीं रोका। यह लापरवाही आम लोगों पर भारी पड़ी। बीम के नीचे दबे वाहनों को गैस कटर से काट कर सेना और एनडीआरएफ के जवानों ने 16 शव और छह घायलों को बाहर निकाल लिया है। घायलों का बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर सहित शहर के अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है।
प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री ने जताया दुःख-
घटना पर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने दुख व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी देर रात वाराणसी पहुंचे। वहां अस्पताल जाकर घायलों से मुलाकात की। इधर बीच, हादसे के बाद यहां पहुंचे डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने सेतु निगम के चार अभियंताओं को निलंबित कर दिया है। चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर एचसी तिवारी, प्रोजेक्ट मैनेजर राजेन्द्र सिंह और केआर सुदन व अवर अभियंता लालचंद पर यह कार्रवाई की गई है। वाईके गुप्ता की अध्यक्षता में तकनीकी टीम का गठन किया गया है। यह 15 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी। वहीँ योगी आदित्यनाथ ने 48 घंटे में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। बीम के नीचे एक रोडवेज बस, एक बोलेरो, दो कार, एक आटो रिक्शा और चार बाइक दब गईं थीं। मौके पर अफरा-तफरी और चीख-पुकार मच गई। नौ क्रेन की मदद से दोनों बीम को करीब चार घंटे में उठाया जा सका।
वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है और सिगरा थाना क्षेत्र के लहरतारा इलाके में इस फ्लाईओवर के निर्माण के लिए 2 मार्च, 2015 को 12973.80 लाख रुपये की राशि मंजूर की गई थी। अक्टूबर 2015 में पुल बनना शुरू हुआ। पुल का निर्माण पूरा करने की सीमा अक्टूबर 2018 तय थी, लेकिन अब तक 47 फीसदी काम ही पूरा हो पाया है। पुल को बनाने का काम उत्तर प्रदेश सेतु निर्माण निगम द्वारा किया जा रहा है।
16th May, 2018