सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक द्वारा डेटा साझा करने का फिर नया मामला प्रकाश में आया है। अमेरिकी अखबार ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ की रपट में कहा गया है कि फेसबुक ने कुछ कंपनियों के साथ डेटा साझा करने का विशेष करार किया है। रपट के मुताबिक, सोशल मीडिया कंपनी ने इस करार के जरिए कंपनियों को यूजर के रिकॉर्ड तलाशने का खास फायदा पहुंचाया है। अदालत के दस्तावेजों और अज्ञात सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि फेसबुक ने कुछ कंपनियों को यूजर डेटा में सेंधमारी करने का लाभ प्रदान किया, जबकि दूरसे को इससे वंचित रखा।
शुक्रवार को प्रकाशित इस रपट में कहा गया है, ‘‘फेसबुक ने डेटा साझा करने का विशेष करार किया है, जिसके तहत चुनिंदा कंपनियों को यूजर के रिकॉर्ड में खास तौर से सेंधमारी करने की यह सुविधा 2015 में ही प्रदान की गई थी, जब सोशल मीडिया कंपनी ने सूचनाओं की सुरक्षा करने का दावा किया था।’’
डेटा साझा करने की इस व्यवस्था को ‘व्हाइटलिस्ट’ के रूप में जाना जाता है, जिसमें कुछ कंपनियों को यूजर के फेसबुक फ्रेंड्स की अतिरिक्त जानकारी हासिल करने की अनुमति दी गई। कनाडा की रॉयल ब्लैंक और जापानी बहुराष्ट्रीय कंपनी निसान मोटर जैसी कंपनियों ने कथिततौर पर फेसबुक के साथ इस प्रकार के करार किए थे। फेसबुक के उत्पाद साझेदारी मामलों के उपाध्यक्ष एमी आर्चिबोंग ने वाल स्ट्रीट को बताया है कि फेसबुक ने कुछ कंपनियों को अल्पकाल के लिए यूजर डेटा मुहैया कराए थे, लेकिन इसे अब बंद कर दिया गया है।
इससे पहले फेसबुक के यूजर की निजता के मामले में गड़बड़ी के एक अन्य मामले में फेसबुक ने गुरुवार को स्वीकार किया कि 18 मई से 27 मई तक एक बग (सॉफ्टवेयर संबंधी त्रुटि) के कारण 1.4 करोड़ यूजर प्रभावित हुए हैं। बग के कारण यूजर को उस समय अपने आप एक संदेश प्राप्त हुआ, जिसमें उन्हें पोस्ट को सार्वजनिक करने का सुझाव दिया गया था, जबकि वे सिर्फ मित्रों के लिए पोस्ट कर रहे थे। फेसबुक की इस भूल के कारण उसके यूजर के पोस्ट को फेसबुक पर लॉग ऑन हुए बिना भी कोई देख सकता था। हालांकि इस बात की अभी कोई जानकारी नहीं है कि किस देश के लोग इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
10th June, 2018