
लखनऊ यूरिड मीडिया न्यूज। मुख्यमंत्री योगीआदित्य नाथ भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्यवाही का अभियान चला रहे है। मुख्यमंत्री ने विभिन्न गंभीर आरोपों के मामलों की समीक्षा की है और उस पर तत्काल कार्यवाही करने के निर्देश दिये हैं। समीक्षा के दौरान 400 गंभीर घोटालो से जुड़े जांच प्रकरण वर्षो से पेन्डिंग पाये गये जिसे समयवद्ध सीमा में निस्तारित करने का निर्णय किया गया है। इन सब के बीच गोमतीनगर के 28 प्लाटों का मामला सरकार के लिए चुनौती बन गया है। इन प्लाटों के आवाटंन में हुई अनियमिताओं के जांच बेहद ईमानदार आईएस अधिकारी विजय शंकर पाण्डेय ने की थी। जांच में तत्कालीन लखनऊ प्राधिकरण के उपाध्यक्ष बी0 बी0 सिंह ने नियमों के खिलाफ अधिकारियों और नेताओं को प्लाट आवंटित कर दिये थे। जांच रिपोर्ट में जिनकी संस्तुति पर नियमो के खिलाफ प्लाट दिये गये या स्वयं लिये गये उनमें स्वर्ण दास बागला स्वयं आईएएस जे0 एस0 मिश्रा पूर्व आवास सचिव, अनिल कुमार प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री श्रीमती अनिता सिंह सचिव मुख्यमंत्री बी0 बी0 सिंह उपाध्यक्ष लखनऊ विकास प्राधिकरण रेखा गुप्ता सचिव लखनऊ विकास प्राधिकरण आर0 के0 मित्तल कमिश्नर लखनऊ मण्डल आमोद कुमार आईएएस अनुराग यादव, आईएएस रामवृक्ष ,विशेष सचिव आवास अंबिका चौधरी पूर्व मंत्री सी0 बी0 शर्मा चीफ टाउन प्लानर ओ0 पी0 सिंह उपनिबंधक ओंकार सिंह आईपीएस रिचा मिश्रा, आर0 सी0 एस0 रावत पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के फादर इन लॉ जी0 बी0 सिंह संयुक्त सचिव लखनऊ विकास प्राधिकरण और राज्यसभा सांसद अमर सिंह शामिल है। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में उपरोक्त प्लाट आवंटित किये गये थे। शिकायत होने के बाद मायावती सरकार ने जांच तत्कालीन मंडलयुक्त विजय शंकर पाण्डेय को दी गयी थी। श्री पाण्डेय ने जांच में अनियमितता पायी और एफआईआर करने की संस्तुति की थी। लेकिन 13 वर्षो के बाद तक भी मामला पेन्डिंग रहा और कोई कार्यवाही नही हुई। उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता मोहन चतुर्वेदी ने जांच रिपोर्ट के आधार पर आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए 23 जुलाई 2018 को गोमतीनगर थाने में लिखित शिकायत की। लेकिन अभी तक मुकदमा दर्ज नही हुआ।अधिवक्ता का कहना है कि जांच रिपोर्ट के आधार पर मुकदमा किया जाना चाहिए। उन्होंने ने बताया कि मुख्य न्याययिक दंडाधिकारी की कोर्ट में 156/3 का निवेदन करेंगे। सुप्रीम कोर्ट संविधान पीठ के फैसले में एफआईआर करने का अनिवार्यता है। प्लाट आवंटन में आईएएस और वरिष्ठ नेताओं के नाम शामिल होने से योगी सरकार के लिए गले का हड्डी बन गया है। भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाये जाने वाली योगी सरकार इस पर क्या कार्यवाही करती है आने वाला समय बतायेगा।
8th August, 2018