लखनऊ, (यूरीड मीडिया)। मुगल शासन का औरंगजेब न केवल क्रुर शासक ही था बल्कि संवेदनहीन इन्सान भी था। औरंगजेब के लिए सत्ता के समक्ष मानवीय संवेदना और रिश्तों की मीठास अर्थहीन थी। सत्ता की क्रुरता को बचाये रखने के लिए इस्लाम की ओट ले ली थी। ऐसे शासक अपनी कौम में भी हेय दृष्टि से ही देखे जाते है। कुछ ऐसा ही वाकया उत्तर प्रदेश के यादवी सत्ता संघर्ष में देखने को मिलता है।
यूपी का मुख्यमंत्री रहते अखिलेश यादव ने सत्ता के बल पर अपने पिता मुलायम सिंह यादव को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष पद से भी बेदखल कर संगठन पर पूरा कब्जा जमा लिया। उसके पूर्व अखिलेश ने चचा शिवपाल को पहले संगठन और बाद में सरकार से बाहर का रास्ता दिखाकर अपना बगावती तेवर दिखा दिया था। यह चचा वही शिवपाल थे जो पिता के राजनीति में व्यस्त रहते तथा मां की बीमारी की वजह से अखिलेश को अंगुली पकड़कर चलाने से लेकर राजनीति का ककहरा पढ़ाया था। शिवपाल के संरक्षण में पल रहे अखिलेश कब बड़ा हो गया, यह मुलायम सिंह को पता ही नही चला। शिवपाल और अखिलेश में खाई तब बढ़ने लगी जब मुलायम की दूसरी पत्नी सन्ध्या के पक्ष में कुछ बाते होने लगी। पारिवारिक एवं राजनीतिक रूप से अखिलेश कभी भी अपनी दूसरी महतारी के साथ सामन्जस्य नही बैठा पाये परन्तु पिता के राजनीतिक कद के समक्ष उनकी कुछ नही चल पाती थी। अखिलेश जैसे-जैसे राजनीति में अपना कद बढ़ाते गये, उन्होंने अपनी अलग टीम और जमीन बनानी शुरू कर दी। मुख्यमंत्री बनने के बाद अखिलेश को अपना राजनीतिक कद बढ़ाने का पूरा मौका मिला। विधानसभा चुनाव से पूर्व यादव परिवार में राजनीतिक सत्ता पर कब्जा जमाने को लेकर संघर्ष शुरू हुआ। अखिलेश के खिलाफ जिस प्रकार चचा शिवपाल ने मुलायम सिंह यादव तथा उनकी पत्नी को एकजुट कर लिया तथा जोड़तोड़ के माहिर अमर सिंह को भी साथ मिला लिया तो उससे अखिलेश सतर्क हो गये। अखिलेश को आभास हो गया कि विधानसभा चुनाव से पहले इन्हें किनारा नही किया गया तो राजनीति उनके हाथ से निकल जाएगी। यही वजह रही कि तमाम विवादों के बीच अखिलेश ने समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बुलाकर पिता को किनारे कर स्वयं राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गये। उसी समय दिल्ली के एक अंग्रेजी अखबार में अखिलेश के इस कृत्य को औरंगजेब की संज्ञा देते हुए लेख प्रकाशित हुआ जिस पर अखिलेश काफी नाराज भी हुए। विधानसभा चुनाव में सपा की करारी हार के बाद संभावना थी कि पारिवारिक विवाद शान्त हो जाएगा। अब लोकसभा चुनाव के साथ ही यादव परिवार का यह विवाद फिर उभर कर सामने आ गया है। नाराज चचा शिवपाल ने कहा कि जो बाप का नही हुआ, उसका सत्यानाश हो जाएगा। बिना नाम लिए ही शिवपाल की पूरी भड़ास अखिलेश पर ही निकली। इसके बाद ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आऔरंगजेब का उल्लेख करते हुए कहा कि अखिलेश ने अपने पिता और चचा को हटाकर सत्ता हड़प ली। योगी ने कहा कि जो अपने पिता और चचा का नही हुआ, वह समाज ने अन्य लोगों का क्या होगा। कहा जाता है कि समय पर परछाई भी साथ छोड़ देती है। राजनीतिक जीवन में लिया गया ऐसा फैसला पूरे जीवन के लिए मिसाल बन जाता है। अब अखिलेश के लिए अपने इस कृत्य पर सफाई देने का भी कोई मौका नही है।
8th September, 2018