लखनऊ, यूरिड मीडिया न्यूज। विवेक हत्या काण्ड में पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह के दिये गये बयान से पुलिस महकमें अराजकता पैदा हो गयी है। विवेक का हत्या करने वाले सिपाही तथा अन्य अपराधी प्रवृति के सिपाहियों का मनोबल बढ़ गया है। हत्या के बाद ओपी सिंह ने बयान दिया है कि सिपाही ने आत्म रक्षा में गोली चलायी है। उन्होने यह भी कहा कि सिपाही को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया । जबकि दोनों बयान फर्जी थे सिपाही ने सामने से गोली मारी है और ओपी सिंह जब बयान दिये थे उसके तीन घंटे के बाद सिपाही अपने पत्नी के साथ गोमतीनगर थाने मे हंगामा कर रहा था। पुसिल महानिदेश का बयान उनकी कार्यशैली क्षमता और विवेक पर सवाल उठाता है ? ओपी सिंह के पुसिल महानिदेशक पद पर बैठे कर दिये गये बयान से 2 जून 1995 की घटना याद आ रही है जब वह लखनऊ के एस.एस.पी. थे। ओपी सिंह के सामने ही 2 जून 1995 की घटना हुई जिसमें मायावती पर गुण्डों ने जानलेवा हमला किया था। और वह खड़े-खड़े देखते रहे। ओपी सिंह जैसा पुलिस महानिर्देशक के कारण पुलिस का मनोबल बढ़ा है और पीड़िता को न्याय मिलेगी इस पर भी संदेह पैदा हो रहा है। जिस तरीके से हत्या करने वाले पुलिस की पत्नी पुलिस महाकमें में ही रहते हुए एस.एस.पी. और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अबशब्दों का प्रयोग कर रही है उससे लगता है कि पुलिस महानिदेशक ओपी. सिंह का खुला संरक्षण अपराधी को मिला हुआ है। योगी आदित्य नाथ के लिए ओपी सिंह चुनौती बनते जा रहे है। जिस तरह से उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था पर सवाल उठ रहे है निश्चित रूप से मुख्यमंत्री की छवि प्रभावित हो रही है। 18 महीने में सरकार ने तमाम प्रयास करके उद्योगपतियों को उत्तर प्रदेश में लाने का प्रयास किया था उस पर ओपी सिंह जैसे पुलिस महानिदेशक के कार्य गुजारियों से पानी फिर गया है। उद्योगपति ऐसे प्रदेश में क्यों आयेगें जहां पर निर्दोष को गोली मारी जा रही है। हत्या करने वाले पुलिस ही हो और हत्यारें को पुलिस महानिदेशक पद पर जैसा व्यक्ति फर्जी बयान देकर संरक्षण दे रहा हों। योगी आदित्य नाथ एक ईमानदार मुख्यमंत्री है और वह प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाई कर रहे है। ऐसे में ओपी सिंह जैसा पुलिस अधिकारी ही उनके कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करा दे रहा है। प्रदेश के राजधानी में जब आम आदमी सुरक्षित नही है और रक्षक ही भक्षक बन गये है पुलिस निर्दोष की हत्या कर रही है तथ्य को छुपाने के लिए पुलिस महानिर्देशक फर्जी बयान दे रहे है ऐसे में कानून व्यवस्था पर सवाल उठेगें ही।
1st October, 2018