प्रदीप ने 2 अक्टूबर से की थी आंदोलन की घोषणा, जो अधूरी रह गई
युरिड मीडिया- लखनऊ | गोंडा में शहर के अंदर सड़क चौड़ीकरण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे प्रदीप मिश्रा की गोंडा बहराइच रोड पर हत्या कर दी गयी है। हत्या को सड़क हादसा मानते हुए पुलिस ने मामले को रफा-दफा कर दिया। मृतक प्रदीप मिश्रा की पत्नी लगातार हत्या की बात उठा रही है लेकिन उसकी आवाज़ कोई नहीं सुन रहा है। सभी राजनीतिक दल के नेता भी चुप्पी साधे हुए है। जनता आक्रोशित है। कुछ नेताओ ने फेसबुक पर युवक के हत्या पर सहानभूति जताते हुए अपने कर्तव्यों की इतिश्री मान लिया है। भाजपा सरकार में अपराधियों को बचाने की मुहीम चल रही है लखनऊ का विवेक तिवारी हत्याकांड हो या गोंडा में प्रदीप मिश्रा सभी में पुलिस का रवैया एक जैसा है लखनऊ राजधानी होने के कारण तमाम दबावों और मीडिया के लगातार समाचार दिखाए जाने के बाद भी अभी तक विवेक तिवारी के परिवार को न्याय मिल पायेगा इसमें भी संदेह है। हर अपराध के कार्यवाही पर यह परम्परा बनती जा रही है कि जब तक जनता और मीडिया अपराधियों पर कार्यवाही करने के लिए पुलिस प्रशासन और सरकार पर दवाब नहीं बनाती तब तक अपराधियों पर कार्यवाही नहीं हो रही है।
गोंडा शहर के अंदर फोरलेन बनाने की मुहीम चालने वाले प्रदीप मिश्रा कौड़िया थाना क्षेत्र के अंतर्गत कंचनपुर के रहने वाले एक युवा समाजसेवी थे उन्होंने विकास के लिए मुहीम चलाई। इसका खामियाजा प्रदीप मिश्रा को जान देकर उठाना पड़ा। गोंडा की जनता को यह सोचना चाहिए कि युवा प्रदीप मिश्रा जो एक गांव में रहता था वह सड़क के चौड़ीकरण को लेकर और जनपद में विकास के लिए अगवाई कर रहा है उसकी हत्या कर दी गयी आखिर सड़क बनती तो प्रदीप मिश्रा को सड़क पर अकेले नहीं चलना था इसका लाभ देवीपाटन मंडल की सवा करोड़ जनता को मिलता। युवा समाज सेवी की हत्या के बाद छोटे छोटे बच्चे और पत्नी का जीवन कैसे गुजरेगा ? इस पर भी समाज के ठेकेदारों को सोचना चाहिए जो समय-समय पर घड़याली आंसू बहाते रहते है।
तेज़ तर्रार प्रदीप जिले की समस्याओं को सड़क से लेकर सोशल साइट तक पर बेहद गंभीर तरीके से रखते थे। उनके तीखे सवाल जिले के अफसरों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक को चुभने वाले होते थे। यही कारण था कि जिले के युवाओं का एक बड़ा वर्ग प्रदीप से जुड़ा हुआ था। प्रदीप एक सामाजिक संगठन जनसंवाद मंच के पदाधिकारी भी थे और मंगलवार से वह फोरलेन सड़क के निर्माण में बाधा बने एक अवैध होटल के खिलाफ धरने पर बैठने वाले थे।
इसी धरने में शामिल होने के लिए वह दो दिन पहले दिल्ली से गोंडा आए थे। धरने की रूपरेखा तय करने के बाद वह सोमवार रात करीब दस बजे अपने गांव जाने के लिए मुख्यालय से निकले थे। गोंडा-बहराइच मार्ग पर वह मुंडेरवा माफी गांव के समीप पहुंचे ही थे कि वह हादसे का शिकार हो गए। मंगलवार की भोर मे जैसे ही प्रदीप के हादसे में मौत की खबर मुख्यालय पहुंची को लोग अवाक रह गए। इस युवा सामाजिक कार्यकर्ता की मौत ने हर किसी को झकझोर दिया। सोशल साइट पर प्रदीप की हत्या की आशंका जताने वाले संदेशों की बाढ़ सी आ गई। हर कोई प्रदीप की मौत पर किसी गहरी साजिश की आशंका जता रहे थे। चारों तरफ गम और गुस्सा झलक रहा है।
युरिड मीडिया- लखनऊ | गोंडा में शहर के अंदर सड़क चौड़ीकरण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे प्रदीप मिश्रा की गोंडा बहराइच रोड पर हत्या कर दी गयी है। हत्या को सड़क हादसा मानते हुए पुलिस ने मामले को रफा-दफा कर दिया। मृतक प्रदीप मिश्रा की पत्नी लगातार हत्या की बात उठा रही है लेकिन उसकी आवाज़ कोई नहीं सुन रहा है। सभी राजनीतिक दल के नेता भी चुप्पी साधे हुए है। जनता आक्रोशित है। कुछ नेताओ ने फेसबुक पर युवक के हत्या पर सहानभूति जताते हुए अपने कर्तव्यों की इतिश्री मान लिया है। भाजपा सरकार में अपराधियों को बचाने की मुहीम चल रही है लखनऊ का विवेक तिवारी हत्याकांड हो या गोंडा में प्रदीप मिश्रा सभी में पुलिस का रवैया एक जैसा है लखनऊ राजधानी होने के कारण तमाम दबावों और मीडिया के लगातार समाचार दिखाए जाने के बाद भी अभी तक विवेक तिवारी के परिवार को न्याय मिल पायेगा इसमें भी संदेह है। हर अपराध के कार्यवाही पर यह परम्परा बनती जा रही है कि जब तक जनता और मीडिया अपराधियों पर कार्यवाही करने के लिए पुलिस प्रशासन और सरकार पर दवाब नहीं बनाती तब तक अपराधियों पर कार्यवाही नहीं हो रही है।
गोंडा शहर के अंदर फोरलेन बनाने की मुहीम चालने वाले प्रदीप मिश्रा कौड़िया थाना क्षेत्र के अंतर्गत कंचनपुर के रहने वाले एक युवा समाजसेवी थे उन्होंने विकास के लिए मुहीम चलाई। इसका खामियाजा प्रदीप मिश्रा को जान देकर उठाना पड़ा। गोंडा की जनता को यह सोचना चाहिए कि युवा प्रदीप मिश्रा जो एक गांव में रहता था वह सड़क के चौड़ीकरण को लेकर और जनपद में विकास के लिए अगवाई कर रहा है उसकी हत्या कर दी गयी आखिर सड़क बनती तो प्रदीप मिश्रा को सड़क पर अकेले नहीं चलना था इसका लाभ देवीपाटन मंडल की सवा करोड़ जनता को मिलता। युवा समाज सेवी की हत्या के बाद छोटे छोटे बच्चे और पत्नी का जीवन कैसे गुजरेगा ? इस पर भी समाज के ठेकेदारों को सोचना चाहिए जो समय-समय पर घड़याली आंसू बहाते रहते है।
इसी धरने में शामिल होने के लिए वह दो दिन पहले दिल्ली से गोंडा आए थे। धरने की रूपरेखा तय करने के बाद वह सोमवार रात करीब दस बजे अपने गांव जाने के लिए मुख्यालय से निकले थे। गोंडा-बहराइच मार्ग पर वह मुंडेरवा माफी गांव के समीप पहुंचे ही थे कि वह हादसे का शिकार हो गए। मंगलवार की भोर मे जैसे ही प्रदीप के हादसे में मौत की खबर मुख्यालय पहुंची को लोग अवाक रह गए। इस युवा सामाजिक कार्यकर्ता की मौत ने हर किसी को झकझोर दिया। सोशल साइट पर प्रदीप की हत्या की आशंका जताने वाले संदेशों की बाढ़ सी आ गई। हर कोई प्रदीप की मौत पर किसी गहरी साजिश की आशंका जता रहे थे। चारों तरफ गम और गुस्सा झलक रहा है।
3rd October, 2018