यूरीड मीडिया-समाजवादी पार्टी से अलग होकर जिस तेवर के साथ शिवपाल सिंह यादव ने आक्रामक राजनीतिक
शुरू की थी और सपा बसपा गठबंधन के लिए चुनौती बनते जा रहे थे। वह राजनीतिक धार मायावती के बंगले के आवंटन और Z+ सुरक्षा मिलने से कमजोर हो गयी है। जनता है सब कुछ जानती है। आवास एवं सुरक्षा के बाद अखिलेश यादव को शिवपाल पर भाजपा से मिले होने का आरोप लगाने की आवश्यकता नहीं रह गयी है जिस तरह से राज्यसभा सदस्य अमर सिंह ने कहा था कि भाजपा के बड़े नेता से शिवपाल की वार्ता तय कराई थी लेकिन शिवपाल सिंह यादव मिलने नहीं गए। अमर सिंह के इस बयान से शिवपाल सिंह के सेक्युलर मोर्चे को भाजपा के खिलाफ एक मजबूत प्रमाण पत्र मिल गया था। जिसका फ़ायदा सपा के खिलाफ मिलता लेकिन मायावती के बंगला के आवंटन से सेक्युलर मोर्चा भारतीय जनता पार्टी की "बी टीम" बनता जा रहा है। मुलायम सिंह यादव और अपर्णा यादव का शिवपाल के साथ जुड़ने से भी ज्यादा फ़ायदा नहीं मिल पायेगा। अखिलेश को पूरा अवसर मिल गया है कि भजपा विरोधी दलों को मोर्चे के साथ जाने से रोक सकते हैं।
राजनीत में लिए गए एक निर्णय से फ़ायदा और नुकसान दोनों तय होते हैं। उपचुनाव में सपा बसपा गठबंधन के निर्णय से एक जबरदस्त सन्देश जनता के बीच गया कि अगर मायावती और अखिलेश साथ में चुनाव लड़ते है तो भाजपा की विजय यात्रा पर 2019 में विराम लग जायेगा। शिवपाल सिंह के अलग होने से ये माना जा रहा है कि सपा बसपा गठबंधन के जिन बड़े नेताओ को टिकट नहीं मिलेगा वह शिवपाल के नेतृत्व में चुनाव लड़ सकते है और इसका नुकसान
गठबंधन को होता। लेकिन बंगले की राजनीति
क
में मोर्चे को कमजोर कर दिया है।
शुरू की थी और सपा बसपा गठबंधन के लिए चुनौती बनते जा रहे थे। वह राजनीतिक धार मायावती के बंगले के आवंटन और Z+ सुरक्षा मिलने से कमजोर हो गयी है। जनता है सब कुछ जानती है। आवास एवं सुरक्षा के बाद अखिलेश यादव को शिवपाल पर भाजपा से मिले होने का आरोप लगाने की आवश्यकता नहीं रह गयी है जिस तरह से राज्यसभा सदस्य अमर सिंह ने कहा था कि भाजपा के बड़े नेता से शिवपाल की वार्ता तय कराई थी लेकिन शिवपाल सिंह यादव मिलने नहीं गए। अमर सिंह के इस बयान से शिवपाल सिंह के सेक्युलर मोर्चे को भाजपा के खिलाफ एक मजबूत प्रमाण पत्र मिल गया था। जिसका फ़ायदा सपा के खिलाफ मिलता लेकिन मायावती के बंगला के आवंटन से सेक्युलर मोर्चा भारतीय जनता पार्टी की "बी टीम" बनता जा रहा है। मुलायम सिंह यादव और अपर्णा यादव का शिवपाल के साथ जुड़ने से भी ज्यादा फ़ायदा नहीं मिल पायेगा। अखिलेश को पूरा अवसर मिल गया है कि भजपा विरोधी दलों को मोर्चे के साथ जाने से रोक सकते हैं।
राजनीत में लिए गए एक निर्णय से फ़ायदा और नुकसान दोनों तय होते हैं। उपचुनाव में सपा बसपा गठबंधन के निर्णय से एक जबरदस्त सन्देश जनता के बीच गया कि अगर मायावती और अखिलेश साथ में चुनाव लड़ते है तो भाजपा की विजय यात्रा पर 2019 में विराम लग जायेगा। शिवपाल सिंह के अलग होने से ये माना जा रहा है कि सपा बसपा गठबंधन के जिन बड़े नेताओ को टिकट नहीं मिलेगा वह शिवपाल के नेतृत्व में चुनाव लड़ सकते है और इसका नुकसान
गठबंधन को होता। लेकिन बंगले की राजनीति
क
में मोर्चे को कमजोर कर दिया है।
14th October, 2018