आजकल प्रदुषण दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। प्रदूषित हवा में सांस लेने से दिमाग की कार्यक्षमता कम होने के साथ-साथ, ब्रेन स्ट्रोक, दिल संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। जिस हवा को आप सांस के रूप में ले रहे हैं, वह आपको गंभीर बीमार भी बना सकती है। सावधानी बरतकर ही बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है। पिछले कुछ सालों में भारत की हवा तेजी से प्रदूषित हुई है। हवा में हानिकारक कण जैसे ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड, धूल, शीशा, आर्सेनिक, निकल, बेंजीन, अमोनिया, बेंजोपाइरिन और डीजल आदि पार्टिकुलेट मैटर तय मानक से कई गुना ज्यादा बढ़ चुके हैं। ये जहरीले कण गंभीर बीमारियों को बढ़ाने का प्रमुख कारण हैं।
वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से दिमागी क्षमता भी प्रभावित होती है। हवा में घुले हानिकारक कण अस्थमा, श्वसन तंत्र की शिथिलता से दिल के दौरे का खतरा, एलर्जी, आंखों में जलन, नजर कमजोर होना, त्वचा संबंधी रोगों का बड़ा कारण है। डब्ल्यूएचओ का एक शोध कहता है कि वायु प्रदूषण से फेफड़ों का कैंसर जैसी बीमारी भी हो सकती हैं।
दस सबसे प्रदूषित देशों में भारत नौवें नंबर पर है। हाल ही में डब्ल्यूएचओ ने विश्व भर के 20 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची जारी की है। हैरानी की बात यह है कि इन 20 प्रदूषित शहरों में से 14 शहर भारत के हैं। सबसे ज्यादा बुरी स्थिति उत्तर प्रदेश की है। इसमें छह सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर उत्तर प्रदेश के हैं। प्रदूषित शहरों में पहले स्थान पर कानपुर है। कानपुर के बाद फरीदाबाद, वाराणसी, गया, पटना, दिल्ली, लखनऊ, आगरा, मुजफ्फरपुर, श्रीनगर, गुरुग्राम, जयपुर, पटियाला और जोधपुर शामिल हैं।
बचाव के तरीके-
सुबह और शाम कम से कम बाहर निकलें। सुबह-सुबह खुले में व्यायाम, योगा, सैर करने से बचें। अगर सुबह घर से बाहर निकलना मजबूरी है, तो मुंह पर कपड़ा या मॉस्क लगाकर निकलें। जंकफूड, बाहर का खाना खाने से परहेज करें। ताजे फल, सब्जियों को आहार में शामिल करें। घर में रहकर रोजाना व्यायाम करें। ज्यादा से ज्यादा पानी पिए। इससे हानिकारक कण शरीर से बाहर निकल जाते हैं और बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
गंभीर बीमारियों का खतरा-
- वायु प्रदूषण से क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज का खतरा बढ़ता है।
- फेफड़ों का कैंसर हो सकता है।
- डायबिटीज की संभावना बढ़ जाती है।
- ज्ञान संबंधी कौशल भी प्रभावित होता है।
- शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घटती है।
- प्रदूषित वायु में सांस लेने से प्रदूषण के कण साइनस कैविटी को भरने लगते हैं।
- वायु प्रदूषण से किडनी रोग का खतरा भी बढ़ता है।
11th November, 2018