लखनऊ, यूरिड मीडिया न्यूज। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा है मांस के व्यवसाय को लेकर समाज में फैल रही नफरत को रोकने के लिए सरकार कानून बनाये। कोर्ट ने कहा कि शाकाहारी एवं मांसाहारी के बीच नफरत बढ़रही है दोनों पक्ष मिलकर भारत को बढ़ाते है बनाते है और भारतीय है। इसलिए खान-पान के आधार पर समाज में नफरत पैदा हो रही है। उसे रोकना चाहिए खान-पान के आधार पर संविधान में बंटवारा नही है। हिन्दू धर्म में किसी व्यक्ति को खाने-पीने की आदतों की वजह से धर्म को मानने से नही रोकता। इस्लाम, ईसाई, और सिखधर्म में भी यही होता है। किसी को शाकाहारी होने से धर्म से अलग नही किया जाता। हमारा संविधान हर धर्म को मानने की अनुमति देता है। इसी तरह प्रतिबंन्धित मवोसियों का मांस खाकर मांसाहारी जन्नति नही चले जायेंगे। इसलिए सरकार को नफरत को रोकने के लिए कड़े कानून बनाये जाने चाहिए और साथ ही प्रत्येक एक हजार आबादी पर गौशाला बनायी जाये, और निकायों में उचित प्रबंन्धन के साथ गौशालाएं भी बनायी जायें। कोर्ट ने अप्रैल 2016 में गायों के संरक्षण के लिए जारी किये गये नोटिफिकेशन पर भी सवाल उठाया और कहा कि दण्ड निर्धारण में दिमाग का उपयोग करना चाहिए। अभी देर नही हुई है और नफरत को रोकने के लिए व्यवहारिक कानून बनाये जाए जिसमें मांसाहारियों और शाकाहारियों के बीच टकराव न हो और तथा गायों को संरक्षण मिले।
21st December, 2018