गडकरी का गुजराती जोड़ी पर हमला
लखनऊ, यूरिड मीडिया न्यूज़। 2014 लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित परिणाम मिलने से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह में अहंकार का भाव आ गया था। 2014 में लोकसभा चुनाव हुए थे उस समय राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह थे। लेकिन जीत का सेहरा मोदी के सर पर बांधा गया। राजनाथ सिंह को महत्व नहीं दिया गया। अमित शाह चुनावी रणनीतिकार बनकर उभरे थे जिसका लाभ मिला और राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी सौंपी गयी। अमित शाह के अध्यक्ष बनने के बाद विधानसभा चुनावों में निरंतर सफलता मिलती गयी और 19 राज्यों में भाजपा की सरकार बनी। इस जीत का श्रेय मोदी और शाह लेते रहे। भाजपा सरकार व संगठन दो गुजरातियों के हवाले हो गया था। सरकार और संगठन का अर्थ था मोदी और शाह। पार्टी में किसी नेता को बोलने की हिम्मत नहीं थी। अमित शाह का अहंकार इतना अधिक बढ़ गया था कि 50 वर्षों तक भाजपा को कोई नहीं हटा सकता ऐसे भाषण रैलियों में देने लगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्यों में मिल रही निरंतर सफलता से कांग्रेस मुक्त भारत की घोषणा कर दी और ऐसा लगने लगा था कि मोदी, शाह कांग्रेस मुक्त भारत बनाने में सफल हो जाएंगे। लोकतन्त्र है जनता सुप्रीम है। तीन राज्यों के चुनाव में शाह का अहंकार और मोदी का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना टूट गया। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में राहुल गांधी के नेतृत्व में मिली सफलता से कांग्रेस का मनोबल बढ़ा और मोदी शाह का अहंकार टूटा। पार्टी में सबसे अधिक मजबूत मोदी सरकार के कबीना मंत्री नितिन गडकरी ने मौके की तलाश में थे और वह अवसर तीन राज्यों में मिली भाजपा की हार से मिल गया। गडकरी ने कड़ुआ
सच कहा है कि अगर जीत का श्रेय मोदी , शाह लेते रहे तो हार की जिम्मेदारी लेने से क्यों भाग रहे। उन्होने कहा अगर सांसद व विधायक अच्छा काम नहीं करते तो इसकी भी ज़िम्मेदारी अध्यक्ष की होती है। मोदी एवं शाह का बिना नाम लिए नितिन गडकरी ने घूटन महसूस कर रहे भाजपाइयों को बोलने का अवसर दिया है। गडकरी ने सही कहा है और अब 50 वर्षों तक निरंतर सत्ता में रहने का दांवा करने वाले अमित शाह कांग्रेस मुक्त भारत की मुहिम चलाने वाले मोदी बैकफूट पर है। सहयोगी दल गडकरी के बयान के बाद दोनों गुजराती जोड़ी को आंख दिखाने लगे है। नितीश एवं रामविलास ने डराकर 22 सीट जीतने वाली भाजपा को 17 सीटों पर लड़ने के लिए मजबूर कर दिया। यूपी में सहयोगी दल सुहेलदेव समाज पार्टी और अब अपना दल भी बिहार की तर्ज पर आंख दिखाने लगे है।
सच कहा है कि अगर जीत का श्रेय मोदी , शाह लेते रहे तो हार की जिम्मेदारी लेने से क्यों भाग रहे। उन्होने कहा अगर सांसद व विधायक अच्छा काम नहीं करते तो इसकी भी ज़िम्मेदारी अध्यक्ष की होती है। मोदी एवं शाह का बिना नाम लिए नितिन गडकरी ने घूटन महसूस कर रहे भाजपाइयों को बोलने का अवसर दिया है। गडकरी ने सही कहा है और अब 50 वर्षों तक निरंतर सत्ता में रहने का दांवा करने वाले अमित शाह कांग्रेस मुक्त भारत की मुहिम चलाने वाले मोदी बैकफूट पर है। सहयोगी दल गडकरी के बयान के बाद दोनों गुजराती जोड़ी को आंख दिखाने लगे है। नितीश एवं रामविलास ने डराकर 22 सीट जीतने वाली भाजपा को 17 सीटों पर लड़ने के लिए मजबूर कर दिया। यूपी में सहयोगी दल सुहेलदेव समाज पार्टी और अब अपना दल भी बिहार की तर्ज पर आंख दिखाने लगे है।
26th December, 2018