विजय शंकर पंकज, लखनऊ, (यूरीड मीडिया ग्रुप)। भारतीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों का गठबंधन नाकामी का प्रतीक रहा है। क्षेत्रीय दलों के गठबंधन से बनी सरकारें अभी तक कभी भी कार्यकाल पूरा नही कर पायी है। इससे राष्ट्रीय तथा राज्यों की राजनीति में अस्थिरता का वातावरण बना रहा है। भारतीय राजनीति में अब भी राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी तथा कांग्रेस के गठबंधन की सरकारें ही कार्यकाल पूरा कर पायी तथा राजनीतिक स्थिरता कायम रखने में सफल रही।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पूर्व राष्ट्रीय पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के अलावा कई क्षेत्रीय दल भी गठबंधन बनाकर राष्ट्रीय राजनीति में दबाव बनाने का प्रयास कर रहे है। इस कड़ी में तेलंगाना के मुख्यमंत्री चन्द्रशेखर राव ने कई राज्यों के क्षेत्रीय दलों के नेताओं तथा मुख्यमंत्रियों से मुलाकात कर राष्ट्रीय स्तर पर लोकसभा के लिए गठबंधन बनाने का प्रयास किया। चन्द्रशेखर राव के इस प्रयास में उड़ीसा तथा आन्ध्रप्रदेश ने किनारा कर लिया तो बंगाल के तृणमूल से भी कुछ विशेष सहयोग नही मिला। उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन से एक माहौल बना है परन्तु यह एक राज्य तक ही सीमित बनकर रह गया है। सपा-बसपा गठबंधन में भी कई मुद्दे ऐसे है जिसको लेकर दोनों दलों के नेताओं को जनता के समक्ष जवाब देना आसान नही होगा।
गैर कांग्रेस तथा गैर भाजपा के राष्ट्रीय स्तर गठबंधन में वर्ष 1967 तथा 1977 में बनी सरकारें अपना कार्यकाल पूरा नही कर पायी। इसी प्रकार 1989 में जनता दल की विश्वनाथ प्रताप सिंह और चन्द्रशेखर की सरकार भी कार्यकाल पूरा नही कर पायी। 1977 तथा 1989 में गैर कांग्रेसवाद के नाम पर परस्पर विरोधी दल भी एकजुट हुए जिसमें जनसंघ/भाजपा के साथ ही वामपंथी दल तथा सोशलिस्ट भी साथ रहे। यह सभी गठबंधन भानुमति का कुनबा साबित हुए। वर्ष 1991 में कांग्रेस के नरसिंह राव की अल्पमत की सरकार क्षेत्रीय दलों के सहयोग से पांच वर्ष का पूरा कार्यकाल संपन्न कर पायी। इसके बाद वर्ष 1996 तथा 1998 में क्षेत्रीय दलों के गठबंधन की अटल बिहारी वाजपेयी, एच. डी. देवेगौड़ा तथा इन्द्रजीत गुजराल की सरकारों का कार्यकाल कुछ महिनों का ही रहा जबकि 1999 में भाजपा के अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार कार्यकाल पूरा किया। इसके बाद कांग्रेस के गठबंधन की मनमोहन सरकार ने दो कार्यकाल पूरा किया तो भाजपा के नरेन्द्र मोदी सरकार ने भी गठबंधन दलों के साथ कार्यकाल पूरा किया। उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव, बिहार में नीतिश कुमार, कर्नाटक में कुमार स्वामी सहित कई राज्यों के गठबंधन सरकारों का भविष्य भी कुछ ऐसा ही रहा। उत्तर प्रदेश में भाजपा-बसपा गठबंधन सरकारों का भविष्य भी कुछ ऐसा ही रहा। इससे साफ है कि अभी तक क्षेत्रीय दलों के गठबंधन का रूख नाकामयाब, राजनीतिक अस्थिरता तथा अनिश्चितता का ही रहा है।
16th January, 2019