यूरीड मीडिया- जर्मनी की ल्यूबेक यूनिवर्सिटी के शोध में पता चला है कि दाल-चावल जैसे भारतीय आहार आनुवांशिक बीमारियों को भी मात दे सकता है। पहले की रिपोर्ट्स कहती थीं कि डीएनए में चल रही गड़बड़ी से आप बीमार पड़ते हैं मगर नई रिपोर्ट कहती है कि बीमार करने में सबसे ज्यादा योगदान खाने का है।
उनकी ये रिसर्च ‘नेचर’ के नए एडिशन में छपी है जिसमें साइंटिस्टों ने बताया कि कैसे उन लोगों ने दो साल तक चूहों पर एक्सपेरिमेंट किया। इसमें पता चला कि पश्चिमी देश के लोग हाई कैलोरी का खाना बनाते हैं वहीं भारतीय लोग कम कैलोरी वाला खाना खाते हैं। पहले की सारी रिसर्च डीएनए को सेंटर में रख कर होती थीं, मगर इस बार इसे खाने पर केंद्रित कर किया गया है।
रिसर्च के लिए ऐसे चूहों को लिया गया जिन्हें ल्यूपस की बीमारी थी। इस बीमारी में शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है और वो अपने अंगों को ही नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। वैज्ञानिकों ने दो अलग – अलग चूहों के ग्रुप को लिया। एक को पश्चिमी सभ्यता वाला पिज्जा, बर्गर खिलाया गया और दूसरे को भारत का हल्दी वाला हेल्दी खाना। पहले ग्रुप के चूहे ल्यूपस से निपट गए और दूसरे ग्रुप के चूहे इंडियन खाना खा के मस्त जिंदा रहे।
उनकी ये रिसर्च ‘नेचर’ के नए एडिशन में छपी है जिसमें साइंटिस्टों ने बताया कि कैसे उन लोगों ने दो साल तक चूहों पर एक्सपेरिमेंट किया। इसमें पता चला कि पश्चिमी देश के लोग हाई कैलोरी का खाना बनाते हैं वहीं भारतीय लोग कम कैलोरी वाला खाना खाते हैं। पहले की सारी रिसर्च डीएनए को सेंटर में रख कर होती थीं, मगर इस बार इसे खाने पर केंद्रित कर किया गया है।
रिसर्च के लिए ऐसे चूहों को लिया गया जिन्हें ल्यूपस की बीमारी थी। इस बीमारी में शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है और वो अपने अंगों को ही नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। वैज्ञानिकों ने दो अलग – अलग चूहों के ग्रुप को लिया। एक को पश्चिमी सभ्यता वाला पिज्जा, बर्गर खिलाया गया और दूसरे को भारत का हल्दी वाला हेल्दी खाना। पहले ग्रुप के चूहे ल्यूपस से निपट गए और दूसरे ग्रुप के चूहे इंडियन खाना खा के मस्त जिंदा रहे।
19th September, 2019