यूरिड न्यूज़ डेस्क:- कहावत है "सपने उसी के पूरे होते हैं जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। यह कहावत सटीक बैठती उस लड़की पर जो अपने बीमार पिता को साइकिल में बैठाकर गुरुग्राम से दरभंगा(बिहार) करीब करीब 1200 किमी का सफर साइकिल से तय किया। लड़की का नाम ज्योति है जो लॉकडाउन के दौरान अपने बीमार पिता को साइकिल में बैठाकर घर ले आई। खासतौर पर वह तब चर्चा में आई जब अमेरिकी राष्ट्रपति की बेटी इवांका ट्रम्प ने ज्योति की तस्वीर ट्वीट कर उनकी प्रशंसा की।
इवांका ने जब ज्योति की कहानी को ट्वीट किया तो वह सोशल मीडिया पर छा गई। हर ओर ज्योति हौसले और हिम्मत की चर्चा होने लगी। एक न्यूज चैनल से बात करते हुए ज्योति कहती हैं कि वह इवांका दीदी को थैक्स कहना चाहती हैं। ज्योति एक बार इवांका से मिलना भी चाहती है। वह कहती है कि जब वह साइकिलिंग रेस जीतेगी उसके बाद इवांका दीदी से मिलने अमेरिका जाएगी।
500 रुपये में खरीदी साइकिल-
ज्योति ने बताया कि जब लॉकडाउन हुआ तो हम बहुत मुश्किल घड़ी में थे और आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। पिता हरियाणा के गुरुग्राम में ई रिक्शा चलाकर परिवार का भरण-पोषण करते थे और पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। उन्होने इस दौरान घर जाने का संकल्प लिया। बीमार पिता से बात की लेकिन वह साइकिल पर बैठकर घर चलने को तैयार नहीं हुए। लेकिन ज्योति ने हिम्मत नहीं हारी और पिता को साइकिल से ही चलने के लिए राजी लिया। ज्योति के मुताबिक मोदी सरकार की तरफ से उनके खाते में एक हजार रुपया आया। इसमें से 500 रुपये की साइकिल खरीदी और बचे पैसे को कैश रख लिया। रास्ते में लोग खाना खिला रहे थे, इसलिए वो पैसा भी खर्च नहीं हुआ।
अपने हौसलों के दम पर चर्चा में आई ज्योति अब शिक्षा और साइकिलिंग के क्षेत्र में नाम कमाना चाहती है। फिलहाल उसकी इच्छा दरभंगा में ही पढ़ाई करने की है। साथ ही प्रैक्टिस करने के लिए एक अच्छी साइकिल चाहती है। इवांका ट्रंप की ओर से तारीफ किये जाने से उत्साहित ज्योति ने शनिवार को 'हिन्दुस्तान' से बातचीत में कहा कि अभी हमें सबसे अधिक आर्थिक मदद की जरूरत है। उसने कहा कि मीडिया में मेरा नाम आने के बाद रोज घर पर कई लोग मिलने आते हैं। कुछ लोगों ने आर्थिक मदद की भी है। कुछ ने मदद का आश्वासन दिया है। लेकिन हमें अभी तक उस प्रकार की मदद नहीं मिली है जिससे हम खेल या पढ़ाई के क्षेत्र में आगे बढ़ सकें।
इवांका ने जब ज्योति की कहानी को ट्वीट किया तो वह सोशल मीडिया पर छा गई। हर ओर ज्योति हौसले और हिम्मत की चर्चा होने लगी। एक न्यूज चैनल से बात करते हुए ज्योति कहती हैं कि वह इवांका दीदी को थैक्स कहना चाहती हैं। ज्योति एक बार इवांका से मिलना भी चाहती है। वह कहती है कि जब वह साइकिलिंग रेस जीतेगी उसके बाद इवांका दीदी से मिलने अमेरिका जाएगी।
500 रुपये में खरीदी साइकिल-
ज्योति ने बताया कि जब लॉकडाउन हुआ तो हम बहुत मुश्किल घड़ी में थे और आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। पिता हरियाणा के गुरुग्राम में ई रिक्शा चलाकर परिवार का भरण-पोषण करते थे और पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। उन्होने इस दौरान घर जाने का संकल्प लिया। बीमार पिता से बात की लेकिन वह साइकिल पर बैठकर घर चलने को तैयार नहीं हुए। लेकिन ज्योति ने हिम्मत नहीं हारी और पिता को साइकिल से ही चलने के लिए राजी लिया। ज्योति के मुताबिक मोदी सरकार की तरफ से उनके खाते में एक हजार रुपया आया। इसमें से 500 रुपये की साइकिल खरीदी और बचे पैसे को कैश रख लिया। रास्ते में लोग खाना खिला रहे थे, इसलिए वो पैसा भी खर्च नहीं हुआ।
अपने हौसलों के दम पर चर्चा में आई ज्योति अब शिक्षा और साइकिलिंग के क्षेत्र में नाम कमाना चाहती है। फिलहाल उसकी इच्छा दरभंगा में ही पढ़ाई करने की है। साथ ही प्रैक्टिस करने के लिए एक अच्छी साइकिल चाहती है। इवांका ट्रंप की ओर से तारीफ किये जाने से उत्साहित ज्योति ने शनिवार को 'हिन्दुस्तान' से बातचीत में कहा कि अभी हमें सबसे अधिक आर्थिक मदद की जरूरत है। उसने कहा कि मीडिया में मेरा नाम आने के बाद रोज घर पर कई लोग मिलने आते हैं। कुछ लोगों ने आर्थिक मदद की भी है। कुछ ने मदद का आश्वासन दिया है। लेकिन हमें अभी तक उस प्रकार की मदद नहीं मिली है जिससे हम खेल या पढ़ाई के क्षेत्र में आगे बढ़ सकें।
24th May, 2020