यूरिड मीडिया मिर्ज़ापुर:-नगर पालिका परिषद मिर्ज़ापुर के जन्म मृत्यु विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला व्याप्त है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जन्म मृत्यु प्रमाण बनाने के नाम पर मनमानी तरीके से कार्य कर पैसे की उगाही कर रहे है। वर्तमान में परिषद के जन्म मृत्यु विभाग में कोई भी लिपिक या बाबू कार्यरत नहीं है वहीं अस्थायी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पूरे सिस्टम को मनमाने ढंग से चला रहे है। यहाँ जन्म-मृत्यु विभाग में अस्थायी कर्मचारी विवेक उर्फ साई कम्प्युटर ऑपरेटर के पद पर कार्यरत है जो उपभोक्ताओं को प्रमाण पत्र बनाने के नाम पर मनमानी ढंग से कार्य कर लोगों को प्रताड़ित कर रहा है। लोगों का कहना है कि साई कागज जमा करने के बाद महीनों दौड़ाता है स्वयं अधिकारी तक पहुँच होने का धौंस जमाता है और बात करने के दौरान बहुत ही बुरा बर्ताव करता है। वहीं कई लोगों का कार्य पैसे लेकर बिना देरी किए भी कर देता है जो पैसा ना दे उसे जांच के नाम पर डराता है ऐसा इसलिए भी हो रहा है क्योकि विभाग में कोई भी स्थायी लेखा, बाबू की मौजूदगी नहीं है एक कर्मचारी मुकेश गुप्ता था जो अभी छुट्टी पर है जिसके एवज में वह स्वयं बड़े बाबू की हैसियत से कार्य कर अपना धौंस जमाता है।
रतनगंज निवासी फिरोज अहमद का कहना है कि यह मुझे पिछले 4 महीने से दौड़ा रहा है, शुरू में कागज जमा होने के दौरान मेरी उम्र ज्यादा(करीब 43 वर्ष) होने के कारण जन्म नहीं बनेगा कह कर लौटा दिया बाद में अधिशासी अधिकारी के कहने पर कागज जमा किया लेकिन रसीद नहीं दिया और अब बार-बार दौड़ा रहा है उनका यह भी कहना है कि यह धर्म के नाम पर भेदभाव करता है। उनका यह भी कहना है कि उन्होने इसके खिलाफ मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत भी की लेकिन नतीजे सिफर रहे।
छोटी मिर्ज़ापुर निवासी खुर्शीद आलम का कहना है कि साई ने जनवरी माह में कागज जमा किया था बाद में 3-4 महीने जांच होने की बात कर दौड़ाता रहा और अंत में कागज नहीं मिल रहा बोलकर लौटा दिया। नगर पालिका परिषद में हर दिन जन्म मृत्यु कागज बनवाने को लेकर लोगों का जमावड़ा लगा रहता है आय दिन यहाँ उपभोक्ताओं और कर्मचारियों में तीखी नोकझोक होती रहती है बावजूद इसके ऊपर का कोई भी अधिकारी मामले में गंभीरता नहीं दिखा रहा है। लोग कागज के लिए महीनों चक्कर लगाते रहते है लेकिन कार्य जांच के नाम पर फंसा रहता है क्योकि कर्मचारी पैसे की वजह से कार्य में ढीलाहवाली करते है। वहीं जांच के नाम पर स्थानीय जमादार कागज लेकर घर आते है और कागज पर रिपोर्ट लगाने के लिए पैसे की मांग करते है और यह सब साथ में मिलकर पैसे का बंदरबाट करते है। कागज जमा होने के एक महीने के भीतर कागज पर कारवाई करनी होती है लेकिन परिषद में सैकड़ों ऐसे दस्तावेज़ पड़े हुए है जो जनवरी-फरवरी माह के है और अब तक जांच नहीं हुई। वहीं कई ऐसे है जिसका कार्य में तेजी से कार्रवाई कर उनका प्रमाण पत्र बना दिया गया।
सीएए और एनआरसी के कारण निकायों में जन्म प्रमाण पत्र बनवाने वालों की तादात में इजाफा हुआ है। कार्य जनवरी के अंत से ऑनलाइन बंद होने के कारण निकायों में लोगों को जाना पड़ रहा है और कर्मचारियों की मनमानी झेलनी पड़ रही है ऐसे में स्थानीय निकायों के इस तरीके के मनमानी रवैये से स्थानीय जनता आक्रोश में है अगर इस तरह से ही कार्य चलता रहा तो आने वाले दिनों इसके नतीजे अच्छे नहीं होंगे।
गौरतलब है कि शासन ने जन्म-मृत्यु का काम ऑनलाइन बंद होने की तिथि 31-01-2020 निर्धारित की थी लेकिन यहां ऑनलाइन कागज दिसंबर माह के अंत से ही लेना बंद कर दिया गया था।
रतनगंज निवासी फिरोज अहमद का कहना है कि यह मुझे पिछले 4 महीने से दौड़ा रहा है, शुरू में कागज जमा होने के दौरान मेरी उम्र ज्यादा(करीब 43 वर्ष) होने के कारण जन्म नहीं बनेगा कह कर लौटा दिया बाद में अधिशासी अधिकारी के कहने पर कागज जमा किया लेकिन रसीद नहीं दिया और अब बार-बार दौड़ा रहा है उनका यह भी कहना है कि यह धर्म के नाम पर भेदभाव करता है। उनका यह भी कहना है कि उन्होने इसके खिलाफ मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत भी की लेकिन नतीजे सिफर रहे।
छोटी मिर्ज़ापुर निवासी खुर्शीद आलम का कहना है कि साई ने जनवरी माह में कागज जमा किया था बाद में 3-4 महीने जांच होने की बात कर दौड़ाता रहा और अंत में कागज नहीं मिल रहा बोलकर लौटा दिया। नगर पालिका परिषद में हर दिन जन्म मृत्यु कागज बनवाने को लेकर लोगों का जमावड़ा लगा रहता है आय दिन यहाँ उपभोक्ताओं और कर्मचारियों में तीखी नोकझोक होती रहती है बावजूद इसके ऊपर का कोई भी अधिकारी मामले में गंभीरता नहीं दिखा रहा है। लोग कागज के लिए महीनों चक्कर लगाते रहते है लेकिन कार्य जांच के नाम पर फंसा रहता है क्योकि कर्मचारी पैसे की वजह से कार्य में ढीलाहवाली करते है। वहीं जांच के नाम पर स्थानीय जमादार कागज लेकर घर आते है और कागज पर रिपोर्ट लगाने के लिए पैसे की मांग करते है और यह सब साथ में मिलकर पैसे का बंदरबाट करते है। कागज जमा होने के एक महीने के भीतर कागज पर कारवाई करनी होती है लेकिन परिषद में सैकड़ों ऐसे दस्तावेज़ पड़े हुए है जो जनवरी-फरवरी माह के है और अब तक जांच नहीं हुई। वहीं कई ऐसे है जिसका कार्य में तेजी से कार्रवाई कर उनका प्रमाण पत्र बना दिया गया।
सीएए और एनआरसी के कारण निकायों में जन्म प्रमाण पत्र बनवाने वालों की तादात में इजाफा हुआ है। कार्य जनवरी के अंत से ऑनलाइन बंद होने के कारण निकायों में लोगों को जाना पड़ रहा है और कर्मचारियों की मनमानी झेलनी पड़ रही है ऐसे में स्थानीय निकायों के इस तरीके के मनमानी रवैये से स्थानीय जनता आक्रोश में है अगर इस तरह से ही कार्य चलता रहा तो आने वाले दिनों इसके नतीजे अच्छे नहीं होंगे।
गौरतलब है कि शासन ने जन्म-मृत्यु का काम ऑनलाइन बंद होने की तिथि 31-01-2020 निर्धारित की थी लेकिन यहां ऑनलाइन कागज दिसंबर माह के अंत से ही लेना बंद कर दिया गया था।
5th July, 2020