यूरिड न्यूज़ लखनऊ, दिनेश दुबे:
ठीक तेरह महीने बाद कोरोना वायरस की प्रलयकारी वापसी देखकर मशहूर शायर अदम गोंडवी का चर्चित शेर याद आ रहा है ..
तुम्हारी फ़ाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है।
मगर ये आंकडे झूठे हैं ये दावा किताबी है।
वैश्विक महामारी से बचने के नाम पर ताली और थाली बजवाने वाली सरकार ने अगर अब भी अपना रवैय्या नहीं बदला तो देश में वो स्थितियां पैदा हो जायेंगी जिसकी किसी ने भी कल्पना नहीं की होगी ? क्योंकि अब तो दवा, बेड, आक्सीजन सिलेण्डर और यहां तक कि अस्पतालों के साथ ही शवदाह गृहों की कमीं भी पड़ने लगी है !! ऐसे में यदि कहीं जनता भड़क उठी तो क्या होगा इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है ! इसलिए सरकार को चाहिए कि वह जितनी जल्दी होश में आ जाये उतना ही सबके लिए अच्छा है !
पिछले एक हफ्ते से देश के कोने-कोने से जिस तरह की हाहाकारी चीख़ें सुनाई दे रहीं हैं उससे साफ हो गया है कि जल्द ही हालात बेक़ाबू होने वाले हैं ! यही नहीं अब आम जनमानस का धैर्य भी जबाव देने वाला है क्योंकि उसके हाँथ में भी कुछ नहीं रहा है ! और सरकार वही कर रही है जो अफसर करवा रहे हैं। जबकि सरकार के सारे दावों की अब तो पोल भी खुल चुकी है। पर क्या करे वह सामान्य आदमी जो सरकार नाम की संस्था को भारी भरकम टैक्स तो देता है पर सरकार से सवाल नहीं कर सकता। क्योंकि अगर वह ऐसा करने की हिमाकत करता है तो सरकार तत्काल ही उसे देशद्रोही ठहराकर जेल भेजने पर उतर आयेगी ! जिस व्यक्ति की कहीं कोई पूछ नहीं है वो ज्ञान बाँटता हुआ घूम रहा है। सरकार की विफलता पर उसे चेताने की बजाय वो सबके सब भंडवा राग अलाप रहे हैं । चूंकि सरकार के नकारेपन से सामान्य आदमी तो क्या अब चलता-पुर्जा आदमी भी लाचार होकर रह गया है। क्योंकि सरकार ने ऐसा नाकारा सिस्टम बना दिया है कि क्या सरकारी अस्पताल और क्या प्राइवेट अस्पताल बिना सीएमओ की सिफारिश व संस्तुति या फिर आदेश के बिना किसी भी कोरोना मरीज को हाथ ही नहीं लगाया जा रहा है। मुझे लगता है कि इस तरह का काम करने वाले सिस्टम से जुड़े लोगों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए।
महामारी के इस दौर की सबसे कड़वी हकीकत यह है कि प्रशासन ने पब्लिक में जिनके भी जो नंबर दिए हैं उनमें से कोई एक नंबर आप खुद मिला कर देखिए ? एक बार में क्या कई बार में भी कोई एक नंबर भी उठ जाए तो मुझे जेल भेज भिजवा दीजिएगा। मैं इस बात को मानता हूँ कि बेड की कमी हो सकती है ! आप किसी का इलाज नहीं कर सकते ? लेकिन परेशान और बीमार लोगों का सम्मान तो कर ही सकते हैं। कम से कम उसका फ़ोन अटेंड करके उसे सांत्वना तो दे ही सकते हैं और यह भी बता सकते हैं कि बेड उपलब्ध होते ही आपकी या आपके मरीज की व्यवस्था कर दी जायेगी। सच समझिये किसी भी आदमी की आधी बीमारी तो सांत्वना मिलने में ही ठीक हो जाती है। जानकर लोग तो जानते ही हैं कि सीएमओ मतलब प्राइवेट अस्पतालों और दवाखानों का सरकारी दलाल। सीधी भाषा में समझा जाये तो सीएमओ मतलब रिश्वत और हरामखोरी का वह जीता-जागता ऐसा स्मारक जिसके आगे सबके सब नतमस्तक होते हैं। ऐसे भ्रष्ट सीएमओ लोग ज़िले-ज़िले में इस कोरोना को करुणा में तब्दील करने में लगे हुए हैं। ये उसी कबीले वाले हैं जिन्होंने मायावती सरकार में हुए एनआरएचएम घोटाले में करोड़ो के वारे-न्यारे किये थे। उस समय कितनी तो हत्याएं हो गई थीं ? जिनकी याद आते ही शरीर में सिहरन सी होने लगती है !
अच्छा कोई बतायेगा कि सीएमओ होता क्या है ? जो जिला कलेक्टर और पुलिस कप्तान से भी अधिक न सिर्फ़ वेतन पाता है बल्कि इन दोनों अधिकारियों को समय समय पर गुमराह भी करता रहता है। चूंकि कोरोना का अब विस्फोटक स्वरूप हो चुका है। लेकिन भ्रष्ट अधिकारी हर जगह सिर्फ़ और सिर्फ पैसा सूंघने के आदी हैं। जबकि इस समय ज़रूरत है लोक कल्याण के विषय में सोचने वाली मशीनरी की जिसमें इस समय को-आर्डिनेशन के लिए सेना को भी लगा दिया जाना चाहिए। क्योंकि इस समय ईमानदार, जवाबदेह और समर्पित लोगों की टीम की ज़रूरत है। नाकारा और भ्रष्टाचार के अभ्यस्त लोगों की कतई नहीं जो एक फ़ोन भी न उठा सकते हो ? देश में जलती हुई लाशों की फोटोग्राफी या वीडियोग्राफ़ी रोकने के उपाय करने वाले अफसरों को शर्म नहीं आ रही है। ऐसे अफसरों को बिना किसी तरह की देरी किये इन्हें तत्काल बर्खास्त कर देना चाहिए। अगर सिस्टम को कोढ़ हो गया है तो उस पर कपड़ा रख कर छुपाने से तो ठीक नहीं होगा अगर ठीक होगा तो सिर्फ इलाज करने से ही ठीक होगा। इसलिए भ्रष्ट प्रशासन और यमराज बने सरकारी डाक्टरों को ठीक करना ही होगा। अन्यथा हम फिर से पचास साल पीछे जाने के लिए अभिशप्त हो जायेगे। यही नहीं अगर सरकार देश को चिता में भस्म होने से बचाना चाहती है तो उसे तत्काल प्रभाव से भ्रष्ट अफसरों पर आंख मूंदकर विश्वास करने की आदत छोड़नी होगी !
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं )
ठीक तेरह महीने बाद कोरोना वायरस की प्रलयकारी वापसी देखकर मशहूर शायर अदम गोंडवी का चर्चित शेर याद आ रहा है ..
19th April, 2021