उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने जिन 75 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से 72 सीटें ऐसी हैं जहां पर बीजेपी का वोट इस बार घटा है। सिर्फ तीन लोकसभा सीटें- गौतमबुद्ध नगर (नोएडा), कौशांबी और बरेली ऐसी हैं, जहां पार्टी को पिछली बार से ज्यादा वोट मिले हैं।
इन 75 लोकसभा सीटों में से 12 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां पर बीजेपी के वोट एक लाख से ज्यादा कम हुए हैं। इन सीटों में मथुरा, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर, फतेहपुर और गोरखपुर शामिल हैं। जबकि 36 सीटें ऐसी हैं जहां पर पार्टी के वोट 50 हजार से 1 लाख के बीच में कम हुए हैं।
इन सीटों में अमेठी, रायबरेली, इलाहाबाद, गाजियाबाद, मैनपुरी और वाराणसी शामिल हैं। वाराणसी सीट से प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी को पिछली बार से 60 हजार वोट कम मिले हैं।
यूपी की प्रमुख सीटों पर बीजेपी को 2019 के मुकाबले कितने कम वोट मिले
पार्टी की स्टार प्रचारक हेमा मालिनी हालांकि मथुरा सीट से चुनाव जीत गई हैं लेकिन उन्हें मिले वोट में सबसे ज्यादा गिरावट आई है।
सीट | उम्मीदवार का नाम | 2024 में मिले वोट | 2019 में मिले वोट | इस बार कितने कम वोट मिले |
मथुरा | हेमा मालिनी | 5,10,064 | 6,71,293 | 1,61,229 |
गोरखपुर | रवि किशन | 5,85,834 | 7,17,122 | 1,31,288 |
अमेठी | स्मृति ईरानी | 3,72,032 | 4,68,514 | 96,482 |
इलाहाबाद | उज्जवल रमण सिंह | 4,03,350 | 4,94,454 | 91,104 |
गाजियाबाद | अतुल गर्ग | 8,54,170 | 9,44,503 | 90,333 |
वाराणसी | नरेंद्र मोदी | 6,12,970 | 6,74,664 | 61,694 |
सुल्तानपुर | मेनका गांधी | 4,01,156 | 4,59,196 | 58,040 |
मेरठ | अरुण गोविल | 5,46,469 | 5,86,184 | 39,715 |
फैजाबाद | लल्लू सिंह | 4,99,722 | 5,29,021 | 29,299 |
लखनऊ | राजनाथ सिंह | 6,12,709 | 6,330,26 | 20,317 |
हालात ऐसे हैं कि अमेठी से चुनाव लड़ीं पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अपने विधानसभा क्षेत्र गौरीगंज में भी चुनाव हारी हैं। स्मृति ईरानी को कांग्रेस के उम्मीदवार केएल शर्मा से 1.67 लाख वोटों से हार मिली है।
बीजेपी को मिली हैं 29 सीटें कम
उत्तर प्रदेश में बीजेपी को पिछली बार से 29 सीटें कम मिली हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 62 सीटें जीती थी लेकिन इस बार उसके खाते में 33 सीटें आई हैं।
इसके साथ ही बीजेपी का वोट शेयर भी तेजी से गिरा है। 2019 में 49.6 प्रतिशत वोट लाने वाली बीजेपी को इस बार 41.4% वोट मिले हैं। उत्तर प्रदेश में पिछले लोकसभा चुनाव में कुल 8.6 करोड़ वोट डाले गए थे और इसमें से बीजेपी को 4.1 करोड़ वोट मिले थे लेकिन इस बार कुल वोट 8.8 करोड़ वोट डाले गे लेकिन भाजपा को 3.6 करोड़ वोट ही मिले हैं। मतलब वोट पिछली बार से ज्यादा पड़े हैं लेकिन बीजेपी को 50 लाख वोट कम मिले हैं। औसतन पार्टी को हर सीट पर 67 हजार वोट कम मिले हैं।
हालांकि बीजेपी पिछली बार लड़ी तीन सीटों- बिजनौर, बागपत और घोसी में इस बार चुनाव नहीं लड़ी और उसने ये सीटें अपने सहयोगी दलों के लिए छोड़ दी थी।
2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने 303 सीटें जीती थीं, तब 224 सीटें ऐसी थीं, जहां पर उसने 50% से अधिक वोट शेयर हासिल किया था। इस बार ऐसी 156 सीटें हैं, जहां भाजपा का वोट शेयर 50% से अधिक रहा है।
2024 के लोकसभा चुनाव में 50% से ज्यादा वोट हासिल करने वाले उम्मीदवारों का आंकड़ा गिर गया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में 50% से ज्यादा वोट हासिल करने वाले उम्मीदवारों का आंकड़ा 62.8% था जो 2024 में गिरकर 47.1 हो गया।
साल | 50% वोट हासिल करने वाले उम्मीदवार (प्रतिशत में) |
1984 | 69.9 |
1989 | 58.2 |
1991 | 38.2 |
1996 | 27.8 |
1998 | 33.1 |
1999 | 40.1 |
2004 | 40.3 |
2009 | 22.1 |
2014 | 36.8 |
2019 | 62.8 |
2024 | 47.1 |
मोदी की जीत का अंतर घटा
वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिली जीत का अंतर इस बार एक तिहाई रह गया है। पिछले चुनाव में नरेंद्र मोदी इस सीट से 4.8 लाख वोटों से जीते थे लेकिन इस बार वह 1.5 लाख वोटों से जीते हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 2019 के चुनाव में 3.5 लाख वोटों से जीते थे लेकिन इस बार उनकी जीत का अंतर 1.35 लाख वोटों का है।
उत्तर प्रदेश से आने वाले मोदी सरकार के 6 मंत्री इस बार चुनाव हार गए हैं। इन मंत्रियों में स्मृति के ईरानी के अलावा लखीमपुर खीरी सीट से अजय मिश्र टेनी, जालौन से भानु सिंह वर्मा, चंदौली से महेंद्र नाथ पांडे, मुजफ्फरनगर से संजीव बालियान, मोहनलालगंज से कौशल किशोर और फतेहपुर सीट से उम्मीदवार साध्वी निरंजन ज्योति का नाम शामिल है।
ब्रांड योगी को झटका
2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिली जीत के बाद योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था। 2022 में बीजेपी ने योगी के चेहरे को आगे रखकर चुनाव लड़ा था और उसे फिर से जीत हासिल हुई थी हालांकि उसकी सीटें जरूर कम हुई थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी और उसने एनडीए के साथ मिलकर सभी 80 लोकसभा सीटें जीतने का नारा दिया था लेकिन वह सिर्फ 33 सीटों पर आकर रुक गई।
इस चुनाव नतीजे से निश्चित रूप से ब्रांड योगी को भी झटका लगा है। बीजेपी ने पूरे चुनाव के दौरान अयोध्या में राम मंदिर निर्माण, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति सहित राष्ट्रवाद और हिंदुत्व को चुनाव अभियान के केंद्र में रखा था जबकि सपा पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) के फार्मूले के साथ चुनाव मैदान में उतरी थी।
निश्चित रूप से सपा का पीडीए फार्मूला जबरदस्त हिट रहा और पार्टी ने पिछली बार मिली 5 सीटों के मुकाबले 37 सीटों पर जीत दर्ज की है और वह देश भर में सबसे ज्यादा सीटें हासिल करने वाली तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है।