यूरीड मीडिया- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में शराब बंदी 1 अप्रैल 2016 में लागू किया और यह तर्क दिया था कि शराब से गरीब का परिवार बर्बाद हो रहा है और बीमारी के कारण जाने जा रही है। नीतीश के इस निर्णय की सराहना भी हुई थी लेकिन शराब बंदी के बाद भी बिहार में लगातार प्रतिवर्ष सैकड़ों जाने जा रही है। नीतीश शराब माफियाओं पर पाबन्दी लगाने में असफल रहे हैं। जिसके कारण शराब माफिया शराब बंदी के बाद भी पूरे बिहार में शराब की सप्लाई करते हैं। यही नहीं पाबन्दी के कारण नकली शराब का बहुत बड़ा कारोबार बिहार में फ़ैल चुका है जिसके कारण जाने जा रही हैं। बिहार सीमा से लगे किसी भी राज्य में शराब बंदी नहीं है। इन राज्यों से माफिया शराब की आपूर्ति करते है जो काफी महंगी भी होती है। जोकि बिहार के अंदर भी बड़े पैमाने पर अवैध शराब बनती भी है। शराब बंदी के बाद अब तक हजार से अधिक मौतें हो चुकी हैं। वैसे बिहार में 47 साल पहले 1977 में भी तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने शराब बंदी लागू किया था लेकिन कांग्रेस सरकार आने के बाद शराब बंदी हटा दी गयी। इसके बाद नीतीश ने 2016 में लागू किया लेकिन इसका कोई प्रभाव भ्रष्टाचार के कारण नहीं पड़ा।
शराब माफिया पर अंकुश लगाने में नाकाम नीतीश
17th October, 2024