यूरीड मीडिया- संगीत का हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव होता है। यह न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि चिकित्सा और मानसिक शांति का स्रोत भी है। भारतीय शास्त्रीय संगीत को समर्पित संस्था त्रिसामा आर्ट्स ने 1 दिसंबर को यूपी दर्शन पार्क के वेलनेस प्रोग्राम "राइज एंड शाइन" के तहत रागों की चिकित्सीय गुणों पर एक पैनल चर्चा का आयोजन किया था। समापन व्योम श्रीवास्तव के तबला प्रस्तुति वादन द्वारा की गई। उपस्थित सभी लोगों ने व्योम श्रीवास्तव के तबला प्रस्तुति को बहुत सराहा, जो स्वयं ऑटिज्म से पीड़ित हैं लेकिन संगीत प्रशिक्षण से उन्हें अत्यधिक लाभ हुआ है।
भारतीय शास्त्रीय संगीत मानसिक शांति प्रदान करता है और कई रोगों से निपटने में मदद भी करता है। लेकिन अभी आम जनमानस में इसकी इतनी जानकारी नहीं है। इसे लोगों के बीच पहुंचाने के उद्देश्य से त्रिसामा आर्ट्स ने यूपी दर्शन पार्क के वेलनेस प्रोग्राम "राइज एंड शाइन" के तहत पैनल चर्चा का आयोजन किया था। रागों की चिकित्सीय गुणों पर आयोजित पैनल का नेतृत्व अभिषेक शर्मा, संस्थापक त्रिसामा आर्ट्स ने किया, डॉ. अरुण श्रीवास्तव, न्यूरो सर्जन और ट्रॉमा सेंटर SGPGI के HOD, डॉ. सृष्टि माथुर, डीन भातखंडे विश्वविद्यालय, डॉ. अक्षय सिंह, मानसिक रोग विशेषज्ञ, प्रणिका भट्ट, कथक नृत्यांगना, और कल्पना गर्ग अग्रवाल शामिल हुए। उन्होंने एक साथ मिलकर डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसे मानसिक समस्याओं के लक्षण और कारणों पर चर्चा की और यह बताया कि शास्त्रीय संगीत इन मानसिक विकारों से निपटने में कैसे मदद करता है।
डॉ. सृष्टि माथुर ने राग और ताल के सिद्धांतों और उनके भावनात्मक संबंध पर विस्तार से बात की, वहीं डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने ध्वनि और परिचित आवाजों के माध्यम से मरीजों का इलाज करने के अपने अनुभव साझा किए और संगीत के माध्यम से 'न्यूरल स्टिमुलेशन' के सिद्धांत को दर्शकों के सामने रखा। प्रणिका भट्ट ने नाट्यशास्त्र में 'रस’ के सिद्धांत और भारतीय शास्त्रीय नृत्य के माध्यम से विशेष रूप से महिलाओं के हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में मदद की बात की। कल्पना गर्ग अग्रवाल ने नादयोग के साथ अपने अनुभव साझा किए और बताया कि उनके परिवार के सदस्य नादयोग अभ्यास से कैसे लाभान्वित हुए।
भारतीय शास्त्रीय संगीत से तनाव और चिंता में कमी, अवसाद में राहत, नींद में सुधार, एकाग्रता और ध्यान सहित कई रोगों पर सकारात्मक असर डालता है। इसी प्रोग्राम के दूसरे सत्र के रूप में पैनल चर्चा के बाद "प्रभाती" नामक संगीत का कार्यक्रम हुआ। प्रभाती का नाम इसलिये रखा गया क्योंकि यह कार्यक्रम शास्त्रीय संगीत के प्रातःकालीन रागों को सुनने के लिए आयोजित किया गया था। बनारस घराने के युवा शास्त्रीय गायक शिव शंकर ने राग नट भैरव, और राग खमाज तथा भैरवी में ठुमरी प्रस्तुत की। उनके साथ हारमोनियम पर दिनकर द्विवेदी और तबला पर मोहित दुबे थे।vसमापन डॉ. अरुण श्रीवास्तव के बेटे व्योम श्रीवास्तव ने की। उन्होंने अपने तबला वादन प्रस्तुति से समां बांध दिया और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस आयोजन में मानसिक स्वास्थ्य, फिटनेस और संगीत क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
भारतीय शास्त्रीय संगीत मानसिक शांति प्रदान करता है और कई रोगों से निपटने में मदद भी करता है। लेकिन अभी आम जनमानस में इसकी इतनी जानकारी नहीं है। इसे लोगों के बीच पहुंचाने के उद्देश्य से त्रिसामा आर्ट्स ने यूपी दर्शन पार्क के वेलनेस प्रोग्राम "राइज एंड शाइन" के तहत पैनल चर्चा का आयोजन किया था। रागों की चिकित्सीय गुणों पर आयोजित पैनल का नेतृत्व अभिषेक शर्मा, संस्थापक त्रिसामा आर्ट्स ने किया, डॉ. अरुण श्रीवास्तव, न्यूरो सर्जन और ट्रॉमा सेंटर SGPGI के HOD, डॉ. सृष्टि माथुर, डीन भातखंडे विश्वविद्यालय, डॉ. अक्षय सिंह, मानसिक रोग विशेषज्ञ, प्रणिका भट्ट, कथक नृत्यांगना, और कल्पना गर्ग अग्रवाल शामिल हुए। उन्होंने एक साथ मिलकर डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसे मानसिक समस्याओं के लक्षण और कारणों पर चर्चा की और यह बताया कि शास्त्रीय संगीत इन मानसिक विकारों से निपटने में कैसे मदद करता है।
डॉ. सृष्टि माथुर ने राग और ताल के सिद्धांतों और उनके भावनात्मक संबंध पर विस्तार से बात की, वहीं डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने ध्वनि और परिचित आवाजों के माध्यम से मरीजों का इलाज करने के अपने अनुभव साझा किए और संगीत के माध्यम से 'न्यूरल स्टिमुलेशन' के सिद्धांत को दर्शकों के सामने रखा। प्रणिका भट्ट ने नाट्यशास्त्र में 'रस’ के सिद्धांत और भारतीय शास्त्रीय नृत्य के माध्यम से विशेष रूप से महिलाओं के हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में मदद की बात की। कल्पना गर्ग अग्रवाल ने नादयोग के साथ अपने अनुभव साझा किए और बताया कि उनके परिवार के सदस्य नादयोग अभ्यास से कैसे लाभान्वित हुए।
भारतीय शास्त्रीय संगीत से तनाव और चिंता में कमी, अवसाद में राहत, नींद में सुधार, एकाग्रता और ध्यान सहित कई रोगों पर सकारात्मक असर डालता है। इसी प्रोग्राम के दूसरे सत्र के रूप में पैनल चर्चा के बाद "प्रभाती" नामक संगीत का कार्यक्रम हुआ। प्रभाती का नाम इसलिये रखा गया क्योंकि यह कार्यक्रम शास्त्रीय संगीत के प्रातःकालीन रागों को सुनने के लिए आयोजित किया गया था। बनारस घराने के युवा शास्त्रीय गायक शिव शंकर ने राग नट भैरव, और राग खमाज तथा भैरवी में ठुमरी प्रस्तुत की। उनके साथ हारमोनियम पर दिनकर द्विवेदी और तबला पर मोहित दुबे थे।vसमापन डॉ. अरुण श्रीवास्तव के बेटे व्योम श्रीवास्तव ने की। उन्होंने अपने तबला वादन प्रस्तुति से समां बांध दिया और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस आयोजन में मानसिक स्वास्थ्य, फिटनेस और संगीत क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
3rd December, 2024