जानें FIR से जुड़ी सारी जानकारी और आपके अधिकार...
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कचहरी, अस्पताल और पुलिस स्टेशन, ये तीन ऐसे स्थान हैं जहाँ जीवन में एक बार ही सही हर आदमी का पाला कभी ना कभी जरूर पड़ता है। पुलिस थाने का नाम सुनते ही पुलिस का खौफनाक चेहरा लोगों के सामने आने लगता है। अमूमन आपने सुना होगा कि पुलिस ने दबाव बनाकर FIR ( first information report) बदल दी है। पुलिस आम नागरिकों द्वारा कानून की कम जानकारी होने का फायदा उठाती है।
किसी भी अपराध की रिपोर्ट पुलिस को दर्ज करवाने के लिए जैसे ही आप थाने में जाते हैं, तो आपको अपने साथ घटे अपराध की जानकारी देने को कहा जाता है। इसमें अपराध का समय, स्थान, मौके की स्थिति इत्यादि की जानकारी पूछी जाती है।
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डेली डायरी को एफआईआऱ न समझें:-
यह सारी जानकारी डेली डायरी में लिखी जाती है जिसे रोजनामचा भी कहा जाता है। बहुत से अनजान लोग इसे ही एफआईआर समझ लेते हैं और अपनी तरफ से संतुष्ट हो जाते हैं। इसलिए जब भी अपराध की रिपोर्ट दर्ज करवाएं एफआईआर लिखवाएं और इसकी कॉपी लें, यह आपका अधिकार है। एफआईआर दर्ज करने में लापरवाही और देरी के लिए भी आप जिम्मेदार अधिकारी की शिकायत कर सकते हैं। एफआईआर की पहचान के लिए इस पर एफआईआर नंबर भी दर्ज होते हैं जिससे आगे इस नंबर से मामले में प्रक्रिया चलाई जा सके। अहम बात यह की FIR पंजीकृत करने के लिए किसी भी प्रकार की फीस नहीं लगती, यदि पुलिस अधिकारी इसकी मांग करता है तो तुरंत उसकी शिकायत बड़े पुलिस अधिकारियों को करें।
यह सारी जानकारी डेली डायरी में लिखी जाती है जिसे रोजनामचा भी कहा जाता है। बहुत से अनजान लोग इसे ही एफआईआर समझ लेते हैं और अपनी तरफ से संतुष्ट हो जाते हैं। इसलिए जब भी अपराध की रिपोर्ट दर्ज करवाएं एफआईआर लिखवाएं और इसकी कॉपी लें, यह आपका अधिकार है। एफआईआर दर्ज करने में लापरवाही और देरी के लिए भी आप जिम्मेदार अधिकारी की शिकायत कर सकते हैं। एफआईआर की पहचान के लिए इस पर एफआईआर नंबर भी दर्ज होते हैं जिससे आगे इस नंबर से मामले में प्रक्रिया चलाई जा सके। अहम बात यह की FIR पंजीकृत करने के लिए किसी भी प्रकार की फीस नहीं लगती, यदि पुलिस अधिकारी इसकी मांग करता है तो तुरंत उसकी शिकायत बड़े पुलिस अधिकारियों को करें।
FIR करवाते समय इन बातों का रखें ध्यान...
- एफआईआर यानी प्रथम सूचना रिपोर्ट तुरंत दर्ज करवाएं।
- यदि किसी कारण से देर हो जाती है तो फॉर्म में इसका उल्लेख करें।
- यदि शिकयत मौखिक रूप से दे रहे हैं तो थाना प्रभारी आपकी शिकायत लिखेगा और समझाएगा।
- कार्बनशीट से शिकायत की चार कापियां होनी चहिये।
- शिकायत को सरल और विशिष्ट रखें।
- तकनीकी के तहत जटिल शब्दों का प्रयोग न करें।
- ध्यान रखें कि आपके आगमन और प्रस्थान का समय एफआईआर और पुलिस स्टेशन के डेली डायरी में अंकित हो गया है।
FIR में दें यह जानकारी... आगे क्लिक करे,
FIR में दें यह जानकारी...
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- आप किस क्षमता में जानकारी दे रहें हैं।
- अपराध का दोषी कौन है।
- अपराध किसके खिलाफ किया गया है।
- अपराध होने का समय क्या था।
- अपराध कौन सी जगह पर हुआ।
- अपराध किस तरीके से हुआ।
- अपराध के समय कोई गवाह थे।
- अपराध से होने वाला नुक्सान।
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ऑनलाइन FIR...
सर्वोच्च न्यायालय ने बताया अनिवार्य...आगे क्लिक करे.
- अब शिकायत करने के लिए पुलिस थाने जाने की जरूरत नहीं रही।
- आप ऑनलाइन अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
- शिकायत दर्ज करने के 24 घंटे के भीतर थाना प्रभारी आपको फोन करेगा|
- जिसके बाद आप अपनी शिकायत की स्थिति को ऑनलाइन ही ट्रैक कर सकते हैं।
- ऑनलाइन शिकायत करने के लिए आपको अपना ई-मेल और टेलीफोन नंबर भी दर्ज कराना होगा जिससे पुलिस आपको संपर्क कर सके।
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सर्वोच्च न्यायालय ने बताया अनिवार्य...
FIR दर्ज नहीं करें तो करें ये काम...आगे क्लिक करे.
- सर्वोच्च न्यायालय ने प्राथमिकी यानि की एफआईआर दर्ज करने को अनिवार्य बनाने का फैसला दिया है।
- एफआईआर दर्ज नहीं करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश भी न्यायालय ने दिया है।
- न्यायालय ने यह भी व्यवस्था दी है कि एफआईआर दर्ज होने के एक सप्ताह के अंदर प्राथमिक जांच पूरी की जानी चाहिए।
- इस जांच का मकसद मामले की पड़ताल और गंभीर अपराध है या नहीं जांचना है।
- इस तरह पुलिस इसलिए मामला दर्ज करने से इंकार नहीं कर सकती है कि शिकायत की सच्चाई पर उन्हें संदेह है।
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FIR दर्ज नहीं करें तो करें ये काम...
अगर थाना प्रमुख आपकी शिकायत की एफआईआर दर्ज नहीं करता है या मना करता है,
अगर थाना प्रमुख आपकी शिकायत की एफआईआर दर्ज नहीं करता है या मना करता है,
- तो आप अपनी शिकायत रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से क्षेत्रीय पुलिस उपायुक्त को भेज सकते हैं।
- उपायुक्त आपकी शिकायत पर कार्रवाई शुरू कर सकता है।
- इसके अलावा एफआईआर नहीं दर्ज किए जाने की स्थिति में आप अपने क्षेत्र के मैजिस्ट्रेट के पास पुलिस को दिशा-निर्देश के लिए कंप्लेंट पिटीशन दायर कर सकते हैं |
- 24 घंटे के भीतर केस दर्ज कर आपको एफआईआर की कॉपी उपलब्ध करवाए।
- मैजिस्ट्रेट के आदेश पर भी पुलिस अधिकारी समय पर शिकायत दर्ज नहीं करता है या फिर एफआईआर की कॉपी उपल्बध नहीं करवाता है, तो उस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई और जेल भी हो सकती है।
आपका स्लाइडशो खत्म हो गया है
स्लाइडशो दोबारा देखें- एफआईआर यानी प्रथम सूचना रिपोर्ट तुरंत दर्ज करवाएं।
- यदि किसी कारण से देर हो जाती है तो फॉर्म में इसका उल्लेख करें।
- यदि शिकयत मौखिक रूप से दे रहे हैं तो थाना प्रभारी आपकी शिकायत लिखेगा और समझाएगा।
- कार्बनशीट से शिकायत की चार कापियां होनी चहिये।
- शिकायत को सरल और विशिष्ट रखें।
- तकनीकी के तहत जटिल शब्दों का प्रयोग न करें।
- ध्यान रखें कि आपके आगमन और प्रस्थान का समय एफआईआर और पुलिस स्टेशन के डेली डायरी में अंकित हो गया है।