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सपा का मुखौटा...

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मुलायम की कच्ची गोट--

देश की राजनीति में अलग छवि कायम रखने वाले मुलायम सिंह अपने अवसान के दिनों में पारिवारिक मामले को लेकर दिग्रभमित से नजर आ रहे है। अब मुलायम वीसवीं सदी के अन्तिम चरण के वह संघर्षशील राजनेता के रूप में नही दिख रहे है बल्कि अपनी कमजोरियों के वशीभूत नजर आ रहे है। यदि ऐसा नही तो मुलायम सिंह जैसा व्यक्ति का यह कथन आम जन के लिए काफी पीड़ादायी है कि अमर सिंह न होता तो वह जेल में होते। मुलायम के इस कथन से बेहतर लालू की राजनीति रही जो जेल जाने के बाद भी इस तरह की किसी कमजोरी के वशीभूत नही नजर आये कि कोई अमर सिंह जैसा दलाल व्यक्ति उन्हें राजनीति का पाठ पढ़ाये। मुलायम ने अपने कथन से ही अपने को न केवल छोटा कर दिखाया बल्कि अमर सिंह की दलाली संस्कृति को भी महिमा मंडित कर दिया। यही वजह रही कि मुख्यमंत्री अखिलेश ने अमर को पारिवारिक झगड़े की जड़ बताते हुए "दलाल अंकल" कहने के साथ ही उन सारे घटनाक्रमों की कलई खोल दी। अखिलेश की यह साफ गोई ही थी कि उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने की अमर-शिवपाल की साजिश नाकाम हो गयी।