राम गोपाल की कटार...

लखनऊ:- प्रदेश के सबसे बड़े सियासी मुलायम परिवार का कलह फिर से उभरने लगा है। इस पारिवारिक विवाद में खलनायक की तरह उभरे राम गोपाल यादव ने नोएडा से इटावा तक जुलूस निकाल कर जो शक्ति प्रदर्शन किया, उससे यादवी कलह गंभीर रूप लेते दिख रहा है। इस प्रदर्शन के बाद राम गोपाल ने जिस प्रकार प्रधानमंत्री के रूप में अखिलेश यादव का नाम उछाला, उसे परिवार में नये कलह के रूप में देखा जा रहा है। इस पारिवारिक विवाद में मुलायम सिंह का नाम लेकर तलवारे खींचने वाले शिवपाल एवं अखिलेश (चाचा-भतीजा) दोनों को ही संगठन से सरकार में नुकसान भुगतना पड़ा है। इससे मुलायम की दबंग छबि भी प्रभावित हुई है। राम गोपाल का यह नया तुर्रा राजनीतिक कटार के रूप में देखा जा रहा है।
सपा परिवार के इन विवादों के तनाव के चलते आजमगढ़ में 6 अक्टूबर को घोषित मुलायम सिंह यादव की जनसभा को स्थगित कर दिया गया। सपा में इसको लेकर यह चर्चा जोरों पर है कि आखिर यह रैली स्थगित कराने के पीछे कारण क्या था आैर उसकी साजिश किसकी है। आजमगढ़ सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का चुनाव क्षेत्र भी है। ऐसे में पारिवारिक विवाद के बाद भी मुलायम सिह से सहानुभूति रखने वालों की भारी भीड़ जुटती। वैसे भी आजमगढ़ सपा मुखिया का ऐसा राजनीतिक गढ़ है जहां से वह हमेशा अपनी पहली रैली कर शक्ति प्रदर्शन करते रहे है। जातीय समीकरण में भी आजमगढ़ यादव-मुस्लिम विरादरी का गढ़ है जो मुलायम की राजनीति के जनाधार के मुख्य पहलू है। विवादों के बाद भी आजमगढ़ की रैली तैयारियों को लेकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल तथा आजम खां की बैठक हो चुकी थी। शिवपाल ने अलग से तैयारी समीक्षा की थी। बताया जाता है कि कुछ दिनों पहले आजमगढ़ में अमर सिंह का पुतला फूंका गया। इसकी पुष्टि मंत्री बलराम यादव ने भी की।
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव परिवार इस समय चल रहा विवाद राजनीतिक विरासत के चरम पर पहुंच गया है। इस विवाद से साफ हो गया है कि अब परिवार मुलायम का वह दबदबा नही रह गया कि सभी उनकी बात कान बंदकर सुन ले। मुलायम के निर्णयों पर परिवार में ही अंगुलिया उठने लगी है। परिवार के सदस्य यह मानकर चल रहे है कि मुलायम सिंह यादव की यह अन्तिम राजनीतिक पारी है आैर उसके बाद दूसरी पीढ़ी को बागडोर संभालनी है। यही वजह है कि दशको तक भाई मुलायम के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले शिवपाल यादव अपने को राजनीतिक उत्तराधिकारी मान कर चल रहे है।







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अमर सिंह के पुतला फूंके जाने की घटना के बाद ही आजमगढ़ की रैली स्थगित करने का निर्णय लिया गया। इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि पार्टी में गुटबाजी को लेकर रैली में किसी तरह के बड़े बवाल से बचने के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया गया। सरकार आैर संगठन के संघर्ष के बीच शिवपाल आैर अखिलेश समर्थक जिस प्रकार लखनऊ में आमने-सामने आ गये थे, उससे मुलायम सिंह काफी विचलित हुए थे। सुरक्षा बलों ने भारी मशक्कत के बीच पिछले दरवाजे से मुलायम सिह को पार्टी कार्यालय से निकाल कर घर पहुंचाया था। अखिलेश समर्थकों ने वहां तक पीछा किया जिससे घबड़ाये मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश को फोन कर शक्ति प्रदर्शन रोकने को कहा। अखिलेश ने पिता की बात अवश्य मान ली परन्तु अपनी नाराजगी नही छिपा पाये। यही वजह रही कि मुलायम सिंह यादव को अपने चुनाव क्षेत्र में भी किसी भारी गड़बड़ी की आशंका हुई।