राष्ट्र से उपर, समाजवादी मुस्लिम प्रेम...

विजय शंकर पंकज ( यूरिड मीडिया)
लखनऊ:- देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की साढ़े चार वर्षो से कमान संभाले हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के एक बयान ने देशवासियों को झकझोर कर रख दिया। पाक की शह पर हुए उरी आतंकवादी हमले के बाद जब पूरा देश आक्रामक कार्रवाई की मांग कर रहा है, उस समय शहीदों को 20 लाख रूपये का चेक देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पाक से वार्ता बंद नही करनी चाहिए। समाजवादी सोच है कि भारत-पाक महागठबंधन बने। यही नही अखिलेश ने यहां तक कहा कि सिन्ध का पानी रोकना, पाक की जनता के साथ अन्याय होगा।
उरी हमले के बाद जब भारत सरकार विश्व समुदाय में पाक को अलग-थलग करने के प्रयास में लगी हुई है। इसी कड़ी में भारत से पाक को जाने वाले सिन्धु के पानी को भी रोकने के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा चल रही है। भारत सरकार सिन्धु समझौते को रोक कर पाक को कड़ा संदेश देना चाहती है। भारत सरकार का कहना है कि "पानी और खून" एक साथ नही बहेंगे। ऐसे में सिन्धु का पानी रोकने की खिलाफत कर अखिलेश पाक के ही पक्ष को मजबूत कर रहे है। अखिलेश का दर्द है कि सिन्धु का पानी रोकने से पाक की जनता परेशान होगी। ऐसे में साफ है कि भारत के निर्दोष सिपाही मारे जाय तो अखिलेश को चिन्ता नही है परन्तु पाक की जनता को मुफ्त में वह पानी दिये जाने के पक्षधर है। गंभीर विषय है कि अखिलेश के इस पाक परस्ती की इतनी मजबूरी क्या है?
काश्मीर के उरी में सेना बेस पर आतंकी घटना के 10 दिन बीतने के बाद भी केन्द्र सरकार द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई न करने से भी भारतीय जनता पार्टी की काफी फजीहत हो रही है। इस सवाल पर भाजपा के बड़े-बड़े नेता अब बगले झांकने लगे है। घिसा-पिटा यही जवाब आ रहा है कि सरकार समय पर कार्रवाई करेगी। लगातार आतंकी घटनाओं के बाद जनता में सरकार का यह रटारटाया बयान सुनने का सब्र नही रह गया है। इस संदर्भ में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव से पहले नरेन्द्र मोदी के एक साक्षात्कार का विडियो जारी किया है जिसमें वह कहते है कि भारतीय जवान के एक सर के बदले वह दस सर काट कर लाएगे।
लोकसभा चुनाव में भाजपा के केन्द्र में पहली बार बहुमत की सरकार बनाने की पहल में नरेन्द्र मोदी ने अपने शपथग्रहण समारोह में पाक प्रधान मंत्री नवाज शरीफ को भी आमन्त्रित किया था। उस समय मोदी की इस पहल को अन्तर्राष्ट्रीय कुटनीति का हिस्सा माना गया। उसके बाद मोदी अफगानिस्तान से अचानक नवाज के यहां शादी के निमन्त्रण बताया गया, फिर भी उसे दोस्ती का संकेत बताया गया। मोदी की नवाज से इस दोस्ती की पहल का पहला झटका तब लगा जब पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमला हुआ और पाक ने साफ तौर पर उसे नकार दिया। लगातार पाक प्रायोजित आतंकी घटनाओं से देश में उबाल आ रहा है जिसके कारण नवाज से दोस्ती का मोदी संकेत उनके गले की हड्डी बन गयी है। मोदी को ख्याल रखना चाहिए कि उनके वरिष्ठ लालकृष्ण आडवाणी एक बार पाक दौरे के समय जिन्ना की मजार पर चले गये और उन्हें धर्म निरपेक्ष कह दिया। इसके बाद आडवाणी आज तक भारतीय जनमानस से उतर गये। ऐसे में मोदी अपनी राष्ट्रभक्त की छवि को बनाये रखने के लिए कोई ठोस कदम नही उठाते है तो उनका राजनीतिक जीवन की धारा भी बदल सकती है।









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मोदी को गले की हड्डी बनी नवाज की दोस्ती--
लोकसभा चुनाव में भाजपा के केन्द्र में पहली बार बहुमत की सरकार बनाने की पहल में नरेन्द्र मोदी ने अपने शपथग्रहण समारोह में पाक प्रधान मंत्री नवाज शरीफ को भी आमन्त्रित किया था। उस समय मोदी की इस पहल को अन्तर्राष्ट्रीय कुटनीति का हिस्सा माना गया। उसके बाद मोदी अफगानिस्तान से अचानक नवाज के यहां शादी के निमन्त्रण बताया गया, फिर भी उसे दोस्ती का संकेत बताया गया। मोदी की नवाज से इस दोस्ती की पहल का पहला झटका तब लगा जब पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमला हुआ और पाक ने साफ तौर पर उसे नकार दिया। लगातार पाक प्रायोजित आतंकी घटनाओं से देश में उबाल आ रहा है जिसके कारण नवाज से दोस्ती का मोदी संकेत उनके गले की हड्डी बन गयी है। मोदी को ख्याल रखना चाहिए कि उनके वरिष्ठ लालकृष्ण आडवाणी एक बार पाक दौरे के समय जिन्ना की मजार पर चले गये और उन्हें धर्म निरपेक्ष कह दिया। इसके बाद आडवाणी आज तक भारतीय जनमानस से उतर गये। ऐसे में मोदी अपनी राष्ट्रभक्त की छवि को बनाये रखने के लिए कोई ठोस कदम नही उठाते है तो उनका राजनीतिक जीवन की धारा भी बदल सकती है।