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वसीयत की जंग में अखिलेश की जीत?

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वसीयत की जंग में अखिलेश की जीत?

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यादवी लोक प्रियता में अखिलेश, मुलायम पर भारी--

यादवी बर्चस्व से ही मुलायम का राजनीतिक कद बढ़ा है। उत्तर प्रदेश में यादवों का एकछत्र नेता बनने के बाद ही मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी का गठन किया। वर्ष 1990 में मुख्यमंत्री रहते मुलायम सिंह यादव ने अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवायी जिससे वह मुल्ला मुलायम बने। इस यादव-मुस्लिम गठजोड़ ही सपा की राजनीतिक ताकत है। वर्तमान राजनीतिक दौर में यादवी बर्चस्व में अखिलेश यादव अपने पिता से बहुत आगे निकल गये है। साढ़े चार वर्ष के शासन में प्रदेश में जितनी भी नियुक्तियां हुई, उसमें 60 से 80 भर्तियां यादव समुदाय को मिली। यहां तक कि लोक सेवा आयोग जैसी पीसीएस की नौकरियों में भी सारे मानकों को धत्ता बताते हुए यह काम किया गया। ऐसे में आज प्रदेश का हर यादव का आदर्श अखिलेश बन गये है। प्रदेश के इस सबसे बड़े यदुबंशी परिवार में पिछले दो माह से जो कलह मची है, उसमें भी ज्यादातर यादवों की सहानुभूति अखिलेश के ही प्रति है। यहां तक कि मुलायम समर्थक बुजुर्ग यादव नेता भी अब अखिलेश के प्रति सहानुभूति जता रहे है आैर यह खुलकर कहने लगे है कि नेता जी (मुलायम) स्त्री मोह में (पत्नी साधना) बड़े बेटे के साथ अन्याय कर रहे है। इस प्रकार युवा से बुजुर्ग तक ज्यादातर यादवों की सहानुभूति अखिलेश के साथ ही जबकि शिवपाल को अब यादव अपना नेता ही ही नही मानता है।