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उपचुनाव: विपक्ष का साझा उम्मीदवार बीजेपी के लिए चुनौती, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर

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उपचुनाव: विपक्ष का साझा उम्मीदवार बीजेपी के लिए चुनौती, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर

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सपा और कांग्रेस पहले से ही गठबंधन की राजनीति पर काम कर रहे है। इसी के तहत सपा-कांग्रेस प्रदेश में बसपा को अपने साथ लेने को तैयार है। इस कड़ी में सपा-कांग्रेस ने पहला मौका बसपा को ही देने का मन बनाया है। संयुक्त विपक्ष का पहला मोर्चा फूलपुर लोकसभा सीट पर है, जहां से बसपा सुप्रीमों मायावती को संयुक्त विपक्ष का प्रत्याशी बनाये जाने की रणनीति बनायी जा रही है। राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद मायावती अभी किसी भी सदन की सदस्य नही है और 2019 के लोकसभा चुनाव से पूर्व उनके चुनाव लड़ने या किसी सदन का सदस्य होने की संभावना नही है। मई-जून 2018 के राज्यसभा चुनाव में भी मायावती के विपक्ष के सहयोग के बिना चुनाव जीतना संभव नही है। ऐसे में मायावती को उससे पहले ही फूलपुर से विपक्ष के संयुक्त प्रत्याशी के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ने का आमन्त्रण दिया जा रहा है।