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उपचुनाव: विपक्ष का साझा उम्मीदवार बीजेपी के लिए चुनौती, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर

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उपचुनाव: विपक्ष का साझा उम्मीदवार बीजेपी के लिए चुनौती, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर

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सूत्रों के अनुसार मायावती विपक्ष के संयुक्त प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरने को तैयार है। इसी प्रकार गोरखपुर की लोकसभा सीट से संयुक्त प्रत्याशी के रूप में पंडित हरिशंकर तिवारी को प्रत्याशी बनाये जाने को लेकर चर्चा गरम है। योगी के मुख्यमंत्री बनने और ठाकुर अधिकारियों को महत्व देने की चर्चाओं के बीच पूर्वी यूपी के ब्राह्मणों में काफी नाराजगी है। हालांकि ब्राह्मणों की नाराजगी और योगी के ठाकुरवाद की राजनीति को बैलेन्स करने के लिए भाजपा ने महेन्द्र नाथ पाण्डेय को प्रदेश अध्यक्ष तथा गोरखपुर के राज्यसभा सांसद शिवप्रताप शुक्ल को केन्द्र में वित्त राज्यमंत्री बनाकर आक्रोश को शान्त करने का प्रयास किया गया है। इसके बाद भी संभावना है कि हरिशंकर तिवारी जैसे बड़े नाम के प्रत्याशी के सामने आने पर भाजपा को गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में भारी मशक्कत करना पड़ेगा। हरिशंकर तिवारी फिलहाल लोकतांत्रिक कांग्रेस के अध्यक्ष है और उनके संयुक्त प्रत्याशी बनाये जाने पर पूर्वी यूपी में भाजपा के खिलाफ ब्राह्मण-ठाकुर की बढ़ती खाई को और चौड़ा करने में मदद मिलेगी जिसका फायदा बाद के चुनावों में विपक्ष को मिलेगा। विपक्ष के लिए सबसे पहले भाजपा के साथ जुटते जातीय गठबंधन में दरार डालना है। लोकसभा के उपचुनाव में संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी के रूप में मायावती और हरिशंकर तिवारी का नाम आने पर प्रदेश की राजनीति में दलित, ब्राह्मण, यादव और मुस्लिम का बड़ा कम्बिनेशन बनेगा जो भाजपा के लिए अच्छी-खासी मुसीबत खड़ा कर सकता है। यह रणनीति काम कर गयी तो भाजपा के मिशन 2019 को झटका देने में विपक्ष सफल हो सकता है।