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सांई - धार्मिक वर्णशंकर 

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सांई - धार्मिक वर्णशंकर 

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जनमानस को दुषित करने का प्रयास --

भारतीय समाज में यह मुद्दा बहुत दिनों से काफी चर्चा में है। कुछ दिनों तक शान्त होने के बाद यह फिर से सर उठाने लगा है। अखंड भारत भूमि के शाश्वत दिनचर्या को दुषित करने की प्रवृति बढ़ती जा रही है। भारतीय मानस आस्था व विश्वास के साथ बुराईयों से दूर रहकर सत्पथ पर चलने के लिए धार्मिक आचरण करता है। भारतीय मानस के देव शाश्वत प्रकृति प्रिय है। वे सृष्टि के कण-कण में विद्यमान है। अजन्मा ब्रह्मा,विष्णु आैर शिव ही इस धर्म भूमि के आराध्य, रक्षक आैर जीवन प्रेरणा है। ये अजन्मा है आैर सृष्टि की रचना इन्ही से हुई है। अन्य धर्मो की तरह यह किसी ईश्वर के पुत्र या पैगम्बर नही है। यह दृश्य-अदृश्य, अजा-अनजा, आस्था-अनास्था, ग्राह्य-अग्राह्य आैर सर्वसमावेशी है। यह समाज को सही रूप दिखाने के लिए समय-समय पर अंशो के साथ अवतरित भी होते है। अवतरण की यह अवधारणा भारतीय जनमानस में ही नही विश्व के अन्य समाजों में भी विभिन्न धार्मिक कथानकों आैर पात्रों के माध्यम से उल्लिखित है।