यूपी चुनाव 2017: चुनावी हिंसा की आशंका, आसान नही होगा पूर्ण बहुमत की सरकार बनाना
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विजय शंकर पंकज (यूरिड मीडिया)
दिशाहीन राजनीतिक दल--
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अब लगभग कुछ माह का ही समय रह गया है लेकिन अभी तक राज्य में सरकार बनाने के दावेदार सभी राजनीतिक दल चुनाव एजेन्डे आैर जन-समस्याओं को लेकर दिशाहीन है। केन्द्र सरकार के सीमा से लेकर आम जनता के घरों की तिजोरी तक किये गए सर्जिकल स्ट्राइक ने सभी दलों के चुनावी गणित को बिगाड़ दिया है। कानून- व्यवस्था सुधारने आैर विकास के दावों को लेकर की जाने वाली राजनीतिक रैलियों का शुरू हुआ दौर कुछ दिनों से ठप सा हो गया है। अब संसद से लेकर टी.वी. चैनलों आैर शहर के नुक्कड़ से लेकर गांव की चट्टियों पर केवल नोटबंदी की चर्चाए चल रही है आैर पूरा राजनीतिक समीकरण इसी के इर्द-गिर्द घूम रहा है। अब जातीय समीकरण से वोट जुटाने की मुहिम धीमी पड़ गयी है।
राजनीतिक दलों के नेता अब जन योजनाओं की बाते न कर निजी संबंधों आैर रिश्तों पर कटुता के बोल बोलने शुरु हो गये है। निजी आरोपों से कटुता के भाव चुनाव को हिंसक होने के संकेत देने लगे है। खुफिया विभाग ने भी इस बार प्रदेश के चुनाव में हिंसा की आशंका पैदा की है। इस संदर्भ में चुनाव आयोग पहले से ही चुनाव को शान्ति पूर्ण करने के लिए केन्द्रीय बलों की ज्यादा तैनाती की कार्य योजना बना रहा है। इसके पूर्व उपहार बांटने तथा कर्ज माफी आदि तरह के लुभावने वादे करने में जुटे दलों को भी यह एहसास होने लगा है कि इन वादों पर जनता का भरोसा नही जीता जा सकता है। प्रदेश में दर्जनों रजनीतिक दलों के पंजीकरण के बाद भी केवल चार ही दल सत्ता संघर्र्र्र्ष में चल रहे है। फिलहाल चुनावी संग्राम में इन दलों की राजनीतिक स्थिति के आकड़े जो आ रहे है, उससे किसी भी दल के पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के प्रति आशान्वित नही है। इस संदर्भ में राज्य के प्रमुख राजनीतिक दलों की स्थिति कुछ इस प्रकार है।