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मायावती का सपाई प्रेम, हताशा की झलक- स्टेट गेस्ट हाउस कांड की सिहरन अभी बाकी है

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मायावती का सपाई प्रेम, हताशा की झलक- स्टेट गेस्ट हाउस कांड की सिहरन अभी बाकी है

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2 जून 1995 को स्टेट गेस्ट हाउस... 

नेताओं की इस तमाम कोशिशों के बाद भी सत्ता में हिस्सेदारी को लेकर सरकार डेढ़ वर्ष भी नही चल पायी और मायावती के सरकार से हाथ खींचने के बाद ही 2 जून 1995 को स्टेट गेस्ट हाउस की वह घटना हो गयी जो राजनीति में कभी नही हुई। इस घटना की याद आते ही मायावती आज भी सिहर जाती है, ऐसा वह खुद कई बार कह चुकी है परन्तु यह राजनीतिक मजबूरी और सत्ता की ललक ही है कि उन्हें उन्ही लोगों से हाथ मिलाने को मजबूर होना पड़ रहा है जो उनकी जान के दुश्मन थे। 

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